ट्रैक्टर के टायरों में क्यों भरा जाता है पानी? ज्यादातर लोगों को नहीं पता ये जुगाड़

ट्रैक्टर के टायरों में क्यों भरा जाता है पानी? ज्यादातर लोगों को नहीं पता ये जुगाड़

कई बार ऐसा होता है कि किसानों को ट्रैक्टर बहुत कठिन हालातों में चलाने पड़ते हैं, जैसे- फिसलन भरी मिट्टी या फिर पानी से भरे खेत. ऐसे हालातों में ट्रैक्टर के पहिये घर्षण कम होने की वजह से फिसलने लगते हैं और ट्रैक्टर लोड नहीं ले पाता है. इसलिए किसान ट्रैक्टर के पहियों में पानी भरते हैं. क्या है पूरी तकनीक और कैसे काम करती है, ये हम आपको खबर में बता रहे हैं.

Advertisement
ट्रैक्टर के टायरों में क्यों भरा जाता है पानी? ज्यादातर लोगों को नहीं पता ये जुगाड़बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स

खेती-किसानी में अधिकतर काम अब ट्रैक्टर के ही सहारे होते हैं और इसीलिए एक किसान को अपना ट्रैक्टर हर तरह के वातावरण और सतह पर चलाना पड़ता है. मगर किसी भी ट्रैक्टर की अपनी सीमाएं होती हैं, लिहाजा जरूरी नहीं है हर जगह ट्रैक्टर आराम से काम कर सके. कई हालात ऐसे होते हैं जिनमें ट्रैक्टर भी या तो फंसने लगता है या फिर लोड नहीं ले पाता है. इस तरह की तमाम स्थितियों के लिए किसानों के पास कई सारी देसी जुगाड़ होती हैं. ऐसी ही एक जुगाड़ आज हम आपको बता रहे हैं कि किसान अपने ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरकर क्यों चलाते हैं. इस जुगाड़ के बारे में आज हम आपको विस्तार से बता रहे हैं.

क्या है ये देसी जुगाड़?

ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरने की ये देसी जुगाड़ अंग्रेजी में बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स कहलाती है. ट्रैक्टर जब साधारण खेत और सड़क पर चलता है तो उसके पहियों को पर्याप्त घर्षण मिलता है. लेकिन जब यही ट्रैक्टर किसी ऐसी जगह पर चलता है जहां पर्याप्त घर्षण ना मिले तो पहिये फिसलने लगते हैं. ऐसे में ट्रैक्टर ना तो सही से लोड ले पाता है और डीजल भी 30 प्रतिशत तक ज्यादा खर्च करता है. इसलिए ट्रैक्टर के टायरों का घर्षण बढ़ाने के लिए बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स यानी ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरा जाता है.

कैसे काम करती है ट्रिक?

पहली बात तो ये जानना जरूरी है कि एग्रीकल्चरल मशीनों के टायरों में लगे वॉल्व 'एयर और वॉटर टाइप' के होते हैं, यानी इनमें हवा और पानी दोनों ही आराम से भरे जा सकते हैं. बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स के दौरान ट्रैक्टर के टायरों में 60 से 80 प्रतिशत तक पानी भरा जा सकता है. जो किसान बेहद ठंडे इलाकों में रहते हैं वे टायरों में पानी भरते वक्त एंटी-फ्रीज भी डालते हैं, ताकि पहिये के अंदर पानी ना भर जाए. ये पानी ट्यूब वाले टायर और ट्यूबलैस टायर, दोनों में ही भरा जा सकता है. 

कब भरा जाता है टायरों में पानी?

बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स तब करनी पड़ती है जब खेत बहुत फिसलन भरे होते हैं या फिर खेतों में पानी भरा होता है. खास तौर पर धान के खेतों में जहां अच्छी मात्रा में पानी भरा होता है, वहां ट्रैक्टर सबसे मुश्किल में चल पाता है. जब भी कोई ऐसे खेत में ट्रैक्टर को काम करना हो जहां घर्षण बहुत कम हो तब बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स का सहारा लेना पड़ता है. इससे ट्रैक्टर के टायरों पर वजन बढ़ जाता है और इनका घर्षण बढ़ जाता है और ट्रैक्टर आराम से लोड ले पाता है. लेकिन बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं.

बैलैस्टिंग ऑफ टायर्स के नुकसान

  • अगर टायर या ट्यूब पुराने हो चुके हैं या घिस चुके हैं तो इनमें पानी भरने से ना सिर्फ ये जल्दी खराब होंगे बल्कि रिम में भी जंग लगा सकते हैं. 
  • टायरों में पानी भरने से ट्रैक्टर का वजन एकदम से बढ़ जाता है और इस वजह से ट्रैक्टर का माइलेज भी काभी घट जाता है. 
  • चूंकि ट्रैक्टर के पिछले पहियों पर एक दम से बहुत सारा वजन आ गया है तो इससे ट्रैक्टर की हैंडलिंग भी मुश्किल हो जाती है और स्टीयरिंग काफी महसूस होगी.
  • अगर अत्यधिक ठंड पड़ रही है और आपने इसमें एंटी-फ्रीज नहीं डाला तो टायरों के अंदर भरा पानी जम सकता है और पहियों को नुकसान पहुंचा सकता है.

ये भी पढ़ें- 
50 HP की रेंज में सबसे बेस्ट 3 ट्रैक्टर ये रहे, कीमत से लेकर फीचर्स तक सब जानिए
कटाई के लिए ये हैं 3 सबसे बेस्ट हार्वेस्टर, जानिए क्या है खासियत और कीमत 

POST A COMMENT