प्रयागराज में महाकुम्भ के पवित्र स्नान के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, वहीं लखीमपुर खीरी में निवेश का महाकुम्भ कुंभी में देखने को मिल रहा है, जहां बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड द्वारा 2850 करोड़ की लागत से देश का पहला बायोपॉलिमर संयंत्र स्थापित होगा. सरकार ने देश के पहले बायोप्लास्टिक प्लांट का जो एमओयू किया था, उसे आज जमीनी धरातल पर उतारा गया है. यह अपनी तरह का देश का पहला निवेश है. यह बायोप्लास्टिक प्लांट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करेगा.
यहां बनने वाली बोतल, प्लेट, कप और कैरी बैग्स पूरी तरह से डिस्पोजेबल होंगे और महज तीन महीने में खुद ही मिट्टी में मिल जाएंगे. ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखीमपुर खीरी के कुंभी चीनी मिल परिसर में 2,850 करोड़ की लागत से देश के प्रथम बायोपॉलिमर संयंत्र के शिलान्यास कार्यक्रम में कही.
मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ ने कहा कि आज पूरी दुनिया उत्तर प्रदेश के महाकुम्भ में भागीदार बनने के लिए उत्साहित है. उन्होंने कहा कि 13 जनवरी से 22 फरवरी तक अब तक 60 करोड़ श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. उन्होंने कहा कि मैं यहां से गोला गोकर्णनाथ और फिर प्रयागराज जाऊंगा, लेकिन कुंभी में ही मुझे महाकुंभ दिख गया. यह निवेश का महाकुंभ है. सीएम ने कहा कि 2850 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह संयंत्र भारत का पहला इंटीग्रेटेड यूनिट होगा. इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी. यूपी सरकार यहां के युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए प्लांट के साथ एमओयू करेगी, जिससे पढ़ाई कर रहे छात्र सीधे रोजगार से जुड़ सकें.
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सीएम योगी ने पर्यावरण संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण असमय बारिश और सूखे जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार जीरो लिक्विड डिस्चार्ज तकनीक को अपनाकर नदियों और नहरों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रही है. सीएम ने कहा कि यूपी में 45 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव आया है. अब तक 15 लाख करोड़ का निवेश हो चुका है और 3 से 5 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं. इससे 7 से 8 लाख युवाओं को नौकरी भी मिल चुकी है.
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सीएम योगी ने कहा कि संयंत्र पाली लैक्टिक एसिड (PLA)आधारित बायोप्लास्टिक का उत्पादन करेगा, जिससे पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद जैसे डिस्पोजेबल बोतलें, खाद्य ट्रे, कटलरी, आइसक्रीम कप और कैरी बैग बनाए जाएंगे. इस प्लास्टिक की विशेषता यह होगी कि यह 3 से 6 महीनों में स्वयं ही मिट्टी में घुलकर नष्ट हो जाएगा, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा. उन्हाेंने कहा कि यह संयंत्र शून्य-तरल अपशिष्ट (Zero Liquid Discharge)के सिद्धांत पर भी काम करेगा, जिससे कोई भी हानिकारक अपशिष्ट नदियों या नालों में नहीं बहेगा. इसके साथ ही, इस परियोजना से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और चीनी उद्योग में नई संभावनाएं खुलेंगी.
मुख्यमंत्री ने बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड से संयंत्र को आईटीआई, पॉलिटेक्निक और स्थानीय महाविद्यालयों से जोड़ने के लिए कहा, जिससे यहां के युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलें. उन्होंने विश्वास जताया कि यह संयंत्र पर्यावरण संरक्षण, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक मील का पत्थर साबित होगा. इस अवसर पर मंत्री नितिन अग्रवाल, राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव चीनी उद्योग वीणा कुमार मीना आदि उपस्थित थे.
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