वर्तमान समय में हर तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी (AI) की चर्चा पूरे जोरो-शोरों पर है. हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में खेती-किसानी के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जाना शुरू हो गया है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जाएगा. जिसमें गन्ना किसानों को कीट के हमलों से पहले अनुमान के साथ ही फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी की भी जानकारी मिलेगी. इसके साथ ही मौसम के पूर्वानुमान, उचित जल संरक्षण और सिंचाई के बारे में पता चलेगा. मिट्टी के नमूने, डेटा विश्लेषण सहित अन्य कार्यों में टेक्निकल मदद मिल सकेगी.
बता दें कि कृषि के क्षेत्र में एआई का प्रयोग लगभग पहली बार किया जा रहा है. इस प्रयोग से किसानों को काफी सफलता मिलेगी. वहीं, उम्मीद जताई जा रही है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग होने से किसानों को काफी फायदा होगा.
चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग की प्रमुख सचिव वीणा कुमारी ने अधिकारियों को इसके लिए निर्देश जारी किए हैं. उसके साथ उन्होंने ये भी कहा है कि किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी दी जाए. वहीं, किसी भी प्रकार की परेशानी के लिए टोल फ्री नंबर 18 00- 121 3203 भी जारी किया गया है. उन्होंने गन्ना विभाग के अधिकारियों द्वारा चीनी मिल गेटों और गन्ना क्रय केंद्रों पर सघन निरीक्षण अभियान चलाने के भी निर्देश दिए हैं.
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यूपी में 120 चीनी मिलों द्वारा लगभग 574 लाख टन गन्ने की पेराई की जाती है. वहीं अब यूपी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से गन्ने खेती होने से पैदावार ज्यादा हो सकेगी और किसानों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. इसके साथ ही गन्ना खरीद में प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी पाए जाने वाले के खिलाफ कठोर कार्यवाही भी हो सकेगी.
इसके अलावा इस तकनीक से गन्ने की खेती में इस्तेमाल करने से फसल में कीट के हमले की जानकारी पहले ही मिल जाएगी. वहीं इससे मौसम का पूर्वानुमान पता चल जाएगा. इसके अलावा इस तकनीक के प्रयोग से जल सिंचाई, मिट्टी के नमूने की जांच और फसलों की रोपाई समेत कई तरह की मदद मिलेगी. साथ ही इस की मदद से किसानों को मिट्टी में कितना पानी देना है, कितना उर्वरक देना है, किस प्रकार का उर्वरक देना है और कितना देना है ये भी पता चलेगा. (आशीष श्रीवास्तव)
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