बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी है. अब उन्हें खेती करने से पहले मिट्टी की जांच करवाने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. क्योंकि बिहार सरकार ने प्रदेश के 10 जिलों में अनुमंडल स्तरीय लैब खोलने का फैसला किया है. खास बात यह है कि इन लैब में मिट्टी की जांच भी की जाएगी. ऐसे में किसान अपने अनुमंडल में ही कम खर्चे और कम मेहनत में खेत की मिट्टी की जांच करवा पाएंगे. ऐसे अभी बिहार के सभी 38 जिलों में मिट्टी जांच लैब हैं.
कृषि विभाग के मुताबिक, मिट्टी जांच की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 10 जिलों के अंदर सभी प्रखंडों में अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच लैब खोली जाएगी. खास बात यह है कि कृषि विभाग प्रत्येक प्रखंड में लैब के निर्माण पर 75 लाख रुपये खर्च करेगा. अभी सहरसा, बक्सर, दरभंगा, सिवान, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, नालंदा, बेगूसराय, पश्चिम चंपारण और औरंगाबाद जिले को लैब खोलने के लिए चयनित किया गया है. इसके लिए फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के तहत इन जिलों के एक-एक अनुमंडल के प्रखंड मुख्यालय में ई-किसान भवन खोलने का भी आदेश दिया गया है.
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कहा जा रहा है कि 10 जिलों में मिट्टी जांच लैब खोलने के लिए सरकार बहुत अधिक पैसा खर्च कर रही है. इसके लिए उसने 8 करोड़ 31 लाख 62 हजार रुपये का बजट बनाया है. खास बात यह है कि इसमें 60 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार का भी लग रहा है, जो 4 करोड़ 98 लाख 97 हजार रुपये है. जबकि, नीतीश सरकार 3 करोड़ 32 लाख 64 हजार रुपये अपनी तरफ से खर्च कर रही है. वहीं, इन नई मिट्टी जांच लैब के खुलने के बाद प्रदेश में इनकी संख्या बढ़कर 63 हो जाएगी. साथ ही जैविक लैब को मजबूत करने के लिए 45 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है.
कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि 10 जिलों में मिट्टी जांच लैब खुलने से किसानों को काफी मदद मिलेगी. उन्हें मिट्टी की जांच कराने के लिए बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा. साथ ही किसान मिट्टी की क्वालिटी के हिसाब से फसलों की खेती करेंगे, इससे उन्हें बंपर पैदावार मिलेगी. इसके अलावा किसानों को मिट्टी जांच रिपोर्ट से ये भी मालूम पड़ जाएगा कि उनके खेत की मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है. इसके बाद वे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए उसी हिसाब से उर्वरकों का इस्तेमाल करेंगे. इससे उपज भी बेहतर रहेगी.
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