इस खास तरीके से करें धनिया की बुवाई तो अच्छी मिलेगी उपज, सही समय पर खाद देना भी जरूरी

इस खास तरीके से करें धनिया की बुवाई तो अच्छी मिलेगी उपज, सही समय पर खाद देना भी जरूरी

बोने से पहले धनिया के बीजों को हल्के से रगड़कर दो भागों में तोड़ लें. धनिया की बुवाई पंक्तियों में सीड ड्रिल से करें. पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें. भारी मिट्टी या अधिक उपजाऊ मिट्टी में पंक्तियों के बीच की दूरी 40 सेमी होनी चाहिए

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इस खास तरीके से करें धनिया की बुवाई तो अच्छी मिलेगी उपज, सही समय पर खाद देना भी जरूरीधनिया की आधुनिक तरीके से बुवाई

धनिया सबसे महत्वपूर्ण मसाला फसल के रूप में जाना जाता है. इसे पूरे देश में नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है. धनिया में पाए जाने वाले गुण खाने को स्वादिष्ट बनाने का काम करते हैं. धनिया से निकलने वाले तेल का उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों में भी किया जाता है. धनिया में पेट की गैस दूर करने वाला, पेट दर्द दूर करने वाला और शक्तिवर्धक के रूप में विशेष गुण होते हैं. अचार, सब्जी, चटनी और सलाद के रूप में इसका उपयोग सबसे अधिक किया जाता है. ऐसे में अगर आप भी धनिया की खेती कर अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो इस खास तरीके से बुवाई करनी होगी. तो आइए जानते हैं क्या है बुवाई का सही तरीका और फसल में खाद देने का सही समय क्या है.

बुवाई का तरीका

बोने से पहले धनिया के बीजों को हल्के से रगड़कर दो भागों में तोड़ लें. धनिया की बुवाई पंक्तियों में सीड ड्रिल से करें. पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें. भारी मिट्टी या अधिक उपजाऊ मिट्टी में पंक्तियों के बीच की दूरी 40 सेमी होनी चाहिए. धनिया की बुवाई पंक्तियों में करना अधिक लाभदायक होता है. नाली में बीजों की गहराई 2-4 सेमी होनी चाहिए. अधिक गहराई पर बीज बोने पर अंकुरण कम होता है.

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सही समय पर दें खाद

असिंचित अवस्था में उर्वरक का सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है. सिंचित अवस्था में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट की सम्पूर्ण मात्रा बुवाई से पूर्व अन्तिम जुताई के समय देनी चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी आधी मात्रा पहले सिंचाई के बाद खड़ी फसल में टाप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए. उर्वरक हमेशा बीज के नीचे डालें. उर्वरक और बीज को एक साथ न डालें. धनिया की फसल में एजोटोबैक्टर और पी.एस.बी. कल्चर 5 किग्रा./हेक्टेयर की दर से 50 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई से पूर्व डालना लाभदायक होता है.

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सही समय पर सिंचाई

धनिया में पहली सिंचाई 30-35 दिन बाद (पत्ती बनने की अवस्था), दूसरी सिंचाई 50-60 दिन बाद (शाखाएं बनने की अवस्था), तीसरी सिंचाई 70-80 दिन बाद (फूल आने की अवस्था) और चौथी सिंचाई 90-100 दिन बाद (बीज बनने की अवस्था) करनी चाहिए. हल्की मिट्टी में पांचवीं सिंचाई 105-110 दिन बाद (दाना पकने की अवस्था) करना लाभदायक होता है.

खरपतवार नियंत्रण

धनिया में फसल-खरपतवार की अवधि 35-40 दिन की होती है. अगर इस अवधि में खरपतवारों की निराई-गुड़ाई न की जाए तो धनिया की उपज 40-45 प्रतिशत कम हो जाती है. यदि धनिया में खरपतवारों की संख्या अधिक हो तो पेडिमिथलीन, पेडिमिथलीन, क्विजोलोफॉप इथाईल खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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