मिट्टी की घटती उर्वरता दुनियाभर को चिंता में डाल रही, कृषि मंत्री बोले- विज्ञान और किसान की दूरी कम करना जरूरी 

मिट्टी की घटती उर्वरता दुनियाभर को चिंता में डाल रही, कृषि मंत्री बोले- विज्ञान और किसान की दूरी कम करना जरूरी 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज 19 नवंबर को नई दिल्ली पूसा में वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 में कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है कि हम सब में एक ही चेतना है. जब हम माटी की बात करते हैं तो वही चेतना भी मिट्टी में भी है. मिट्टी निर्जीव नहीं है, मिट्टी सजीव है.

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मिट्टी की घटती उर्वरता दुनियाभर को चिंता में डाल रही, कृषि मंत्री बोले- विज्ञान और किसान की दूरी कम करना जरूरी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 को संबोधित किया.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मिट्टी का क्षरण यानी घटती उर्वर शक्ति देश ही नहीं दुनियाभर के लिए चिंता का विषय है. पूसा में वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 में उन्होंने कहा कि किसान मिट्टी के सबसे बड़े संरक्षक हैं उन्हें शिक्षा, प्रोत्साहन और आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी के माध्यम से हमें सशक्त बनाना है. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और समाधान खोजने में युवाओं, छात्रों और रिसर्चर्स को आगे आना होगा. सरकार सभी के लिए टिकाऊ और लाभदायक कृषि, लचीले इकोसिस्टम और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि चौपाल जल्दी ही शुरू होगी, जिसमें वैज्ञानिक किसानों से चर्चा कर जानकारियां देंगे और समस्याओं का समाधान भी करेंगे. 

माटी अगर बीमार है तो प्राणी भी स्वस्थ नहीं रहेगा 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज 19 नवंबर को नई दिल्ली पूसा में वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 में कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है कि हम सब में एक ही चेतना है. जब हम माटी की बात करते हैं तो वही चेतना भी मिट्टी में भी है. मिट्टी निर्जीव नहीं है, मिट्टी सजीव है. हमारा शरीर मंत्र तत्व से बना है जिसमें माटी भी एक प्रमुख तत्व है. माटी है तो जीवन है. माटी अगर बीमार है तो प्राणी भी स्वस्थ नहीं रह सकता है. हम एक दूसरे के पूरक हैं इसलिए माटी स्वस्थ रहनी ही चाहिए. आज पूरा विश्व माटी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. ये धरती केवल हमारी ही नहीं है. इस धरती पर जीव जन्तुओं और पेड़-पौधों का भी अधिकार है.

हरित क्रांति और रेनबो क्रांति से खेती का विकास 

उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य आज गंभीर चिंता का विषय है. भारत ने आजादी के बाद कृषि के विकास के लिए हरित क्रांति की है. उच्च उपज वाली फसलें व उनकी किस्में, बेहत्तर सिंचाई आधुनिक कृषि प्रणालियों को अपनाया जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है. इसके बाद रेनबो क्रांति ने बागवानी, डेयरी, जलीय कृषि, मुर्गी पालन आदि से कृषि को विविधता दी. उन्होंने कहा कि हम सालाना 330 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन करते हैं. इसके निर्यात से 50 मिलियन डॉलर की कमाई भी होती है. 

हमारी 30 प्रतिशत माटी खराब हो चुकी

कृषि मंत्री ने कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर का बढ़ता इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर दबाव डाला है. आज भारत की मिट्टी बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है. कई अध्ययनों के अनुसार हमारी 30 प्रतिशत माटी खराब हो चुकी है. मिट्टी का कटाव, उसमें लवणता, प्रदूषण, धरती में आवश्यक नाइट्रो और माइक्रो न्यूट्ररेंट का स्तर कम कर रहा है. मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी ने उसकी उर्वरकता और लचीलेपन को कमजोर किया है. यह चुनौतियां न केवल उत्पादन को प्रभावित करती हैं बल्कि आने वाले समय में किसानों की आजीविका और खाद्य संकट भी पैदा करेंगी. इसलिए यह जरूरी है कि इस पर गंभीरता से विचार करें. 

22 करोड़ से अधिक सॉइल कार्ड किसानों को मिले 

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2015 में केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की शुरूआत हुई थी. 220 मिलियन (22 करोड़) से अधिक कार्ड किसानों को बनाकर दिये हैं. किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड से अब पता है कि कौन सी खाद कितनी मात्रा में इस्तेमाल करनी है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत हमने जल के उचित इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित किया है. नॉर्थ-ईस्ट के 8 राज्यों में किसानों को इकोसिस्टम बेहतर करने टिकाउ कृषि विधियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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