प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक सब्जी फसल है, जिसे तीन प्रकारों में बांटा गया है. जैसे सामान्य प्याज, छोटा सामान्य प्याज और मल्टीप्लायर या शैलोट्स जिसे मद्रास प्याज कहा जाता है. मल्टीप्लायर प्याज 5-6 बल्बों के गुच्छों में उगते हैं. इसकी खेती ज्यादातर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दक्षिण कर्नाटक, ओडिशा और केरल के कुछ हिस्सों में की जाती है. देश का लगभग 90 प्रतिशत मल्टीप्लायर प्याज तमिलनाडु से निकलता है. इसी कड़ी में कम लागत में अधिक प्याज उगाने के लिए ICAR ने ट्रैक्टर से चलने वाली कमाल की मशीन बनाई है. इसकी मदद से किसान कम समय में आसानी से 4 कतारों में एक साथ प्याज की बुवाई कर सकते हैं. वो कैसे आइए जानते हैं.
इसकी खेती के लिए 6 महीने तक स्टोर किए गए प्याज के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. रोपाई में हर बीज के बीच करीब 15-20 सेंटीमीटर की दूरी रखनी पड़ती है. ऐसे में इसे रोपने में काफी समय लगता है. इस वजह से रोपाई के लिए ज्यादा मजदूरों की जरूरत और ज्यादा मजदूरी के कारण लागत में 11.9 परसेंट की बढ़ोतरी होती है.
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी कि ICAR ने ट्रैक्टर से चलने वाला अर्का रेज्ड बेड ऑनियन बल्बलेट प्लांटर बनाया है. इससे प्याज की रोपाई का काम बेहद आसान हो जाता है. इस मशीन में एक चेन लगी होती है, जो एक साथ 4 पंक्तियों में प्याज के बल्ब रोपती है.
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हॉपर में प्याज के बल्ब भरे जाते हैं और ट्रैक्टर को 1.5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे की ओर चलाया जाता है. आगे की ओर उठा हुआ भाग 850-900 मिमी चौड़ाई और 200 मिमी ऊंचाई का बिस्तर बनाता है. यह प्याज के बल्ब लगाने के लिए 50 मिमी चौड़ाई और 50 मिमी गहराई के खांचे बनाता है. बीज मीटरिंग सिस्टम बीज भंडारण से प्याज के बल्बों को मापता है और उन्हें बीज ट्यूब में पहुंचाता है. इसके बाद, प्याज के बल्बों को खांचे में डालकर मिट्टी से भर दिया जाता है. इस मशीन की कार्य क्षमता 0.12 हेक्टेयर/घंटा है. इस मशीन की मदद से 35 प्रतिशत श्रम, लागत और समय की बचत होती है.
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