मजदूरों की कमी से जूझ रहे चाय बागान के मालिकों के लिए अच्छी खबर है. अब इंसान की जगह रोबोट बागान में चाय की पत्तियों को तोड़ेंगे. इसके लिए देश में रोबोट बनाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन रोबोट के आने से चाय बागान मालिकों को काफी राहत मिलेगी. क्योंकि उत्तर भारत के साथ- साथ दक्षिण भारत में भी चाय बागान के मालिक अनुभवी मजदूरों की किल्लत से जूझ रहे हैं. इससे चाय के उत्पादन के साथ- साथ क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है. लेकिन चाय तोड़ने वाली इस कृत्रिम मशीन के आ जाने से सारा काम आसान हो जाएगा.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) रोबोटिक मशीन बना रहा है. उसका अनुसंधान एवं विकास परियोजना अंतिम चरण में है. कोलकता स्थित सी-डैक के प्रमुख आदित्य कुमार सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि चाय की चुनिंदा पत्तियों को तोड़ने के लिए एक बेहतरीन रोबोटिक प्लकर विकसित किया जा रहा है, जो पूरी दुनिया भर में एक पहला प्रयास है. इसके लिए लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं. उनकी माने तो मार्च के अंत या अप्रैल तक कई चरणों में लगातार परिक्षण किया जाएगा. फिर इसके कुछ महीनों के बाद रोबोटिक प्लकर को लॉन्च किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बस हमें रोबोटिक प्लकर की गति और चाय पत्तियों का पता लगाने की सटीकता को देखने की जरूरत है.
वहीं, संयुक्त निदेशक और परियोजना के नेता हेना रे ने कहा कि हमारा प्राथमिक ध्यान वांछित पत्तियों की सटीक पहचान और स्थान प्राप्त करने पर है, जो एक उन्नत मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के कार्यान्वयन के माध्यम से संभव हुआ है. इसमें एक आरजीबी का कैमरा लगाया गया है. एक बार जब कैमरा पत्तियों और कलियों का स्थान कैप्चर कर लेता है, तब केंद्रीय नियंत्रक विकसित कार्टेशियन रोबोटिक मैनिपुलेटर को कमांड देना शुरू करता है. इसके बाद रोबोट पूर्व-निर्धारित पैटर्न का पालन करते हुए दो पत्तियों और एक कली के सभी बिंदुओं तक पहुंचता है. फिर वह कोमल पत्तियों को तोड़ता है. इसके बाद उन्हें कन्वेयर पर गिरा देता है, जो रोबोटिक प्लेटफॉर्म के बगल में फिट होता है.
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सी-डैक अधिकारियों के मुताबिक, चाय तोड़ने वाली मशीनों का छह महीने तक व्यापक परीक्षण किया जाएगा. अगर यह सफल रहा तो सितंबर के अंत तक पूरी तकनीक तैयार हो जाएगी. मुख्य रूप से, यह एप्लिकेशन असम और डुआर्स जैसे घाटी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होगा, जहां ढलान अधिक नहीं हैं. यदि वर्तमान में विकसित की जा रही चाय तोड़ने वाली मशीन सफल हो जाती है, तो सी-डैक इस तकनीक को अधिक ढलान वाले चाय बागानों के लिए भी उपयुक्त बनाने के लिए अन्य विकल्पों का प्रयास करेगा. वहीं, चाय उद्योग के विशेषज्ञों ने सी-डैक की पहल का स्वागत किया है. पूर्व भारतीय चाय संघ (आईटीए) सचिव सुजीत पात्रा ने कहा कि चाय उद्योग में कोई भी आविष्कार और प्रयोग एक स्वागत योग्य कदम है.
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