भारत में कोई तीज-त्योहार हो या गार्डन और बालकनी की शान बढ़ाना हो तो सबसे पहले मैरीगोल्ड यानी गेंदे के फूल का नाम सबसे पहले आता है. साथ ही यह आसानी से उग भी जाता है और सहज ही उपलब्ध रहता है. गेंदा अपनी विशिष्ट महक और आसानी से उपलब्ध होने के कारण बहुत अधिक लोकप्रिय है. लोग फूलों और सब्जियों के बगीचों में गेंदा प्रमुख रूप से लगाना पसंद करते हैं. इसे बीज से उगाना बहुत ही आसान है. गेंदे के पौधे कम रखरखाव वाले होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं. साथ ही ये कीटों को भी दूर भगाते हैं.
ठंड का मौसम गुजरने के लगभग एक से दो हफ्ते बाद गेंदे का बीज लगाना चाहिए. ठंड का खतरा टल जाने के बाद सीधे गेंदे के बीज बोएं. इसके बीज को अंतिम ठंड से लगभग छह से आठ हफ्ते पहले घर के अंदर भी बोया जा सकता है.
मैरीगोल्ड्स ज्यादातर नम मिट्टी के प्रति सहनशील होते हैं और गर्म, सूर्य की रोशनी में सही रूप से बढ़ते हैं. गेंदे के पौधे समृद्ध, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ते हैं. हालांकि, एक बार लगने के बाद यह कुछ हद तक सूखे को भी सहन कर सकता है. इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि अगर इसे ठंडे या नम स्थानों पर लगाया जाता है तो पाउडरी फफूंदी लगने का खतरा बना रहता है.
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गेंदे के बीजों को अंकुरित होने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है. इसलिए रोपण के समय उन्हें ढकने से बचें. मैरीगोल्ड के बीजों को सीधे मिट्टी की सतह पर बोएं और उन्हें मजबूती से दबाएं.
घर के अंदर लगाने के लिए गमलों में बीज के मिश्रण को भरें और हर गमले में तीन से चार बीज बोएं. बीजों का मिट्टी से अच्छा संपर्क बनाने के लिए इन्हें मिट्टी में दबाएं और उन्हें अच्छी तरह पानी दें. बीजों को एक चौथाई इंच से ज्यादा मिट्टी से न ढकने दें.
नमी बनाए रखने के लिए छोटे गमलों को पारदर्शी प्लास्टिक से ढका जा सकता है. उन्हें ग्रो लाइट के नीचे रखें. एक बार जब बीज अंकुरित हो जाएं, तो प्लास्टिक हटा दें और मिट्टी में नमी बनाएं .जब ठंड का खतरा पूरी तरह टल जाए, तो अंकुरों को दिन में कुछ घंटों के लिए बाहर लाकर रखें और हर दिन यह समय थोड़ा-थोड़ाकर बढ़ाएं. आप चाहें तो इसकी सीधे बुवाई कर सकते हैं या रोप भी सकते हैं. लेकिन गेंदे के पौधों के बीच 12 इंच की दूरी जरूर बनाकर रखनी चाहिए.
एक बार लगाए जाने के बाद गेंदे के पौधे को बहुत कम देखभाल की जरूरत होती है. आम तौर पर, सिर्फ पानी देने की आवश्यकता होती है. अगर मिट्टी सूखी या धूल भरी हो गई है, या अगर किसी भी प्रकार की प्राकृतिक वर्षा को दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है तो पौधे को सिंचाई दें.
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