आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के जरिए कॉफी की गुणवत्ता का आकलनभारत में अब कॉफी की ग्रेडिंग और क्वालिटी जांच की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होने जा रही है. दिल्ली की एक स्टार्ट-अप कंपनी ने ऐसा आधुनिक ग्रेडिंग डिवाइस तैयार किया है, जो इमेज-बेस्ड प्रोसेसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के जरिए कॉफी की गुणवत्ता का आकलन करता है. Agsure Innovations Pvt Ltd द्वारा विकसित यह बॉक्सनुमा डिवाइस हाल ही में बालेहोन्नूर में आयोजित सेंट्रल कॉफी रिसर्च इंस्टीट्यूट (CCRI) के 100 वर्ष पूरे होने के समारोह के दौरान पेश किया गया, जहां इसे कॉफी उद्योग से जुड़े किसानों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों को प्रदर्शित किया गया.
एगश्योर इनोवेशंस के डायरेक्टर अभिनव महाजन ने कहा कि उनकी कंपनी ने एक पोर्टेबल, मशीन विजन-बेस्ड कॉफी एनालाइजर बनाया है जो पूरे डिफेक्ट पहचानने और ग्रेडिंग प्रोसेस को डिजिटाइज करता है. अंग्रेजी वेबसाइट 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में महाजन बताते हैं कि मैनुअल सॉर्टिंग के बजाय, यूजर्स बस बीन्स को एक ट्रे पर फैलाते हैं, डिवाइस बंद करते हैं और एक हाई-रिजॉल्यूशन इमेज लेते हैं. फिर खास एल्गोरिदम सैंपल में डिफेक्ट, साइज़ और ग्रेड का एनालिसिस करते हैं और कुछ ही मिनटों में रिजल्ट देते हैं. बता दें कि कॉफी से जुड़े लोग पारंपरिक रूप से सैंपल चुनकर हाथ से ही कमियों की पहचान करते थे और बीन्स को स्कोर देते थे, जिसमें बहुत समय लगता था और इंसानी गलती होने की संभावना भी रहती थी.
महाजन ने बताया कि Agsure इस डिवाइस को 1 लाख रुपये प्लस टैक्स की शुरुआती कीमत पर दे रहा है, साथ ही 25,000 रुपये का सालाना सब्सक्रिप्शन भी है, जिसमें सॉफ्टवेयर अपडेट, मेंटेनेंस और लगातार एल्गोरिदम अपग्रेड शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हमने अब तक लगभग तीन डिवाइस बेचे हैं, मुख्य रूप से तुर्की, दुबई और इंडोनेशिया के विदेशी खरीदारों को, जो सभी ग्रीन कॉफी बीन्स के बड़े इंपोर्टर हैं. हम युगांडा की एक कंपनी से भी बात कर रहे हैं, जिसने डिवाइस का एक कस्टमाइज्ड बड़ा वर्जन मांगा है. घरेलू बाजार में, इस डिवाइस को पहली बार कॉफी से जुड़े लोगों के सामने पेश किया गया है. महाजन ने बताया कि कॉफी बीन्स के बड़े कॉर्पोरेट खरीदारों ने इस डिवाइस में दिलचस्पी दिखाई है.
BITS पिलानी के ग्रेजुएट्स द्वारा स्थापित, Agsure Innovations सेल्फ-फंडेड है और इसे कई सरकारी सहायता प्राप्त केंद्रों में इनक्यूबेट किया गया है, जिसमें कॉफी बोर्ड का अटल इनक्यूबेशन सेंटर भी शामिल है. इसे पंजाब एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर, ICAR-CIPHET, STPI न्यूरॉन-मोहाली, जो AI और एनालिटिक्स के लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है, से सपोर्ट मिलता है. कंपनी को कृषि मंत्रालय से ग्रांट भी मिली है. हालांकि कॉफी पर अभी सबसे ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन कंपनी पहले ही चावल के लिए ऐसा ही एक डिवाइस लॉन्च कर चुकी है और अब तक इसके लगभग 64 यूनिट बेच चुकी है. महाजन ने बताया कि चावल के लिए ग्रेडिंग डिवाइस टूटे हुए दाने, चॉक जैसापन और रंग बदलने जैसे पैरामीटर की पहचान करता है, जो फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) जैसी एजेंसियों द्वारा तय किए गए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के अनुसार होता है.
आगे चलकर कंपनी इलायची, सौंफ और लौंग जैसे मसालों के लिए भी ऐसा ही डिवाइस लाने की योजना बना रही है, जिनकी ग्रेडिंग मुख्य रूप से आकार और दिखने की क्वालिटी के आधार पर की जाती है. महाजन ने कहा कि हार्डवेयर वही रहता है, सिर्फ़ सॉफ्टवेयर और ग्रेडिंग के पैरामीटर बदलते हैं.
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