उत्तर भारत के कपास किसान पिछले कई सालों से गुलाबी सुंडी की समस्या से जूझते आ रहे हैं. अगर यह कीट एक बार फसल पर हमला कर दे तो पूरा खेत बर्बाद कर सकता है. इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. अब इस समस्या का समाधान सामने आया है. लखनऊ स्थित नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने कपास की एक ऐसी नई किस्म विकसित की है जो इस खतरनाक कीट के प्रभाव से बेअसर रहेगी.
वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत में साल 2002 में जीएम कॉटन या बीटी कॉटन को अपनाया गया था. इसमें बोलगार्ड-1 और बोलगार्ड-2 जैसी किस्में प्रमुख थीं. ये किस्में शुरू में कुछ कीटों को नियंत्रण करने में कारगर रहीं लेकिन गुलाबी सुंडी पर इनका असर धीरे-धीरे कम होने लगा. दरअसल, समय के साथ इस कीट ने उन प्रोटीनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली थी जो इन बीटी किस्मों में प्रयुक्त होते थे. इसका परिणाम यह हुआ कि देश में कपास की उपज पर बुरा असर पड़ा. गुलाबी सुंडी का प्रकोप भारतीय कपास किसानों के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ था. लेकिन एनबीआरआई की यह नई खोज एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है.
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सिंह और उनकी टीम ने एक नया स्वदेशी कीटनाशक जीन विकसित किया है. पिछले दिनों आई जानकारी के अनुसार करीब तीन दशकों के अनुसंधान अनुभव के साथ डॉक्टर सिंह के नेतृत्व में तैयार की गई इस नई तकनीक ने लैब टेस्ट्स में गुलाबी सुंडी के खिलाफ खासतौर पर सफलता दिखाई है. यह नई जीएम कपास किस्म न केवल इस कीट के खिलाफ टिकाऊ साबित हुई. बल्कि अन्य सामान्य कीटों जैसे फॉल आर्मीवर्म और पत्तियों पर लगने वाले कीड़ों से भी प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है.
पिछले चार सालों में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में गुलाबी सुंडी ने कपास की फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. उदाहरण के तौर पर, जहां साल 2023 में इन राज्यों में 16 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई थी. वहीं 2024 में यह घटकर मात्र 10 लाख हेक्टेयर रह गई. गुलाबी सुंडी कपास की बॉल में लार्वा छोड़ती है. इससे लिंट खराब हो जाता है और कपास का रंग बिगड़ जाता है. इस वजह से उसकी गुणवत्ता और बाजार मूल्य दोनों गिर जाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अगर यह किस्म बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है तो न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा बल्कि किसानों को कीटनाशकों पर होने वाले खर्च से भी राहत मिलेगी.
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