अलसी रबी मौसम की प्रमुख तिलहनी फसल है. इस फसल का भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है. भारत में अलसी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. तिलहनी फसलों में अलसी दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है. इसका पूरा पौधा बहुत फायदेमंद होता है. इसके तने से लिनेन नामक बहुमूल्य रेशा प्राप्त होता है तथा इसके बीजों से तेल निकाला जाता है. अलसी का उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेद में अलसी को दैवीय भोजन माना गया है. असली तेल में प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत रखता है. इसके अलावा यह शरीर के अंगों में होने वाले दर्द और थकान से भी राहत दिलाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये रेशा निकलता कैसे है. अगर नहीं तो आइए जानते हैं.
सुपरफूड माने जाने वाले अलसी के बीज महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं. खासतौर पर अगर आप किसी तरह के हार्मोनल बदलाव से गुजर रहे हैं तो अपनी डाइट में अलसी के बीज शामिल करने से राहत मिल सकती है. अलसी को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण दर्जा दिया गया है. इन बारीक और चमकदार अलसी के बीजों में छुपे हैं सेहत के कई बड़े राज. अलसी का उपयोग आवश्यकतानुसार बीज, चूर्ण एवं तेल के रूप में किया जाता है.
एंटीफंगल गुणों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर अलसी को अंग्रेजी में फ्लैक्स सीड्स कहा जाता है. अलसी दो प्रकार की होती है सुनहरी और भूरी. गोल्डन अलसी में भूरे अलसी की तुलना में कम ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. भारत के अलावा अलसी के बीज का उत्पादन अमेरिका और अर्जेंटीना में भी किया जाता है. फाइबर से भरपूर अलसी में हेल्दी फैट्स पाए जाते हैं, जो शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. अलसी में एंटी डायबिटिक तत्व पाए जाते हैं. इससे शरीर में इंसुलिन लेवल को आसानी से संतुलित किया जा सकता है.
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अच्छी तरह से सूखे सड़े हुए तने को लकड़ी के हथौड़े से पीटें. इस प्रकार तने की लकड़ी टूटकर भूसी बन जाएगी जिसे झाड़कर और साफ करके आसानी से रेशा प्राप्त किया जा सकता है.
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