धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है जिसकी खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. धान की फसल से अधिक उपज लेने के लिए ड्रम सीडर से धान की बुवाई करने की सलाह दी जाती है. बताया जा रहा है कि ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई करने पर धान की अधिक उपज मिलती है और खेती की लागत भी कम आती है. लेकिन कई बार इस तकनीक से बुवाई करने पर किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं किसानों को कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए.
ड्रम सीडर धान की खेती में इस्तेमाल होने वाली मशीन से जिसे इंसानों के द्वारा चलाया जाता है. इस मशीन की मदद से अंकुरित धान की सीधी बुवाई की जाती है. ड्रम सीडर के इस्तेमाल से समय और पैसे की बचत होती है. जिन इलाकों में बारिश हो रही है, वहां किसान ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई करके खेती की लागत कम कर सकते हैं. ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बीज एक समान रूप से अंकुरित होते हैं, जिससे अच्छी उपज मिलती है.
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गीली सीधी बुवाई विधि का उपयोग अक्सर सिंचित क्षेत्रों में किया जाता है और इसे निम्न प्रकार से किया जा सकता है. जैसे प्रसारण या फिर ड्रम सीडर के माध्यम से. आइए जानते हैं ड्रम सीडर के माध्यम से कैसे की जाती है बुवाई.
मैन्युअल रूप से संचालित ड्रम सीडर एक तेज़ रोपण तकनीक है जिसका उपयोग गीली बुवाई के लिए किया जा सकता है. यह एक ऐसे बीज बिस्तर पर सबसे अच्छा काम करता है जो बहुत समतल, चिकना और गीला हो. ड्रम सीडर के साथ एक समस्या यह है कि वे असमान बुवाई का कारण बन सकते हैं. यानी जब मशीन रुकता है तो कई बीज गिरते हैं, और फिर जब तक सीडर थोड़ी दूर नहीं चला जाता तब तक कोई बीज नहीं गिरता. जिस वजह से बीजों का गिराव जमीन पर आसमान तरीके से होता है. ऐसे में नए ड्रम सीडर बेहतर प्रदर्शन करते हैं. आपको प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम पूर्व-अंकुरित बीज बोने की आवश्यकता होगी.
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