Soil Moisture: मिट्टी की नमी पता करने वाली 'सस्‍ती' डिवाइस काे मिला पेटेंट, छोटे किसानों को होगा फायदा

Soil Moisture: मिट्टी की नमी पता करने वाली 'सस्‍ती' डिवाइस काे मिला पेटेंट, छोटे किसानों को होगा फायदा

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड की टीम ने मिट्टी की नमी मापने वाला IoT आधारित स्मार्ट डिवाइस तैयार किया है, जिसे पेटेंट मिल चुका है. यह तकनीक रियल टाइम डेटा के आधार पर सिंचाई को ऑटोमैटिक बनाती है, जिससे पानी की बचत और फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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मिट्टी की नमी पता करने वाली 'सस्‍ती' डिवाइस काे मिला पेटेंट, छोटे किसानों को होगा फायदामिट्टी की नमी पता करने वाली डिवाइस काे मिला पेटेंट (सांकेतिक तस्‍वीर)

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (CUJ) की एक रिसर्च टीम ने खेती से जुड़ी बड़ी समस्या का व्यावहारिक समाधान तैयार किया है. विश्वविद्यालय की सिविल इंजीनियरिंग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा वरवड़े और उनकी टीम द्वारा विकसित मिट्टी की नमी मापने वाले स्मार्ट डिवाइस को पेटेंट मिला है. इसे कृषि क्षेत्र के लिए एक अहम तकनीकी उपलब्धि माना जा रहा है. यह डिवाइस इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी IoT तकनीक पर आधारित है और स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम का हिस्सा है. 

ड्रिप इरिगेशन सिस्‍टम में साबित होगा कारगर

इसका मकसद बड़े स्तर पर सब्जी और फल उत्पादन करने वाले किसानों की सिंचाई संबंधी दिक्कतों को कम करना है. खासकर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के तहत खेती करने वाले किसानों के लिए यह बेहद कारगर साबित होगी. यह सिस्टम मिट्टी की नमी और आसपास के पर्यावरण से जुड़े डेटा को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता है और उसी आधार पर सिंचाई को अपने आप कंट्राेल करता है.

पानी की बर्बादी राेकने में मिलेगी मदद

डॉ. प्रतिभा वरवड़े ने बताया कि यह डिवाइस किसानों को यह समझने में मदद करता है कि फसल को कब और कितने पानी की जरूरत है. इससे न सिर्फ पानी की बर्बादी रुकती है, बल्कि सिंचाई ज्यादा वैज्ञानिक, सटीक और असरदार बनती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस तकनीक से खेतों में बार-बार जाकर जांच करने की जरूरत कम हो जाती है और मजदूरी पर निर्भरता भी घटती है.

किसानों को सस्‍ते में मिलेगा डिवाइस

इस डिवाइस की एक और खास बात इसकी कम लागत है. बाजार में मौजूद इसी तरह के उपकरणों की तुलना में यह काफी सस्ता है, जिससे छोटे और मध्यम किसान भी इसे अपनाने में सक्षम हो सकते हैं. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के कृषि विभाग ने इस तकनीक में रुचि दिखाई है और किसानों के हित में इसके इस्‍तेमाल को लेकर डॉ. वरवड़े से संपर्क किया है. यह तकनीक झारखंड जैसे राज्यों के लिए भी उपयोगी मानी जा रही है, जहां जल प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है.

CUJ के कुलपति ने कही ये बात

यह शोध परियोजना इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की रिसर्च टीम के साथ मिलकर पूरी की गई है. CUJ के कुलपति प्रोफेसर क्षिति भूषण दास ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि शोध को पेटेंट में बदलना समाज के लिए तकनीक के सही इस्‍तेमाल का उदाहरण है. उन्‍होंने कहा कि ऐसी पहलें स्मार्ट खेती, जल संरक्षण, उत्पादन बढ़ाने और टिकाऊ विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी.

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