आधार कार्ड का नाम तो आपने सुना ही होगा. ये आधार कार्ड बीते कुछ सालों से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए जरूरी हो गया है. असल में भारत सरकार ने आधार कार्ड के जरिए देश के प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक नंबर आंवटित किया है. इस तकनीक के युग में ये यूनिक नंबर ही नागरिकों की पहचान बन गया है. बस कंप्यूटर में दर्ज कीजिए और कई खुल जाती है कई सारी जानकारियां. इसी तर्ज पर भारत सरकार जमीन को भी यूनिक नंबर देने की तैयारी कर रही है. इसी कड़ी में नई दिल्ली में 17 मार्च को 'डिजिटाइजिंग एंड जियोरेफरेंसिंग इंडिया विथ भू-आधार' विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है. इस सम्मेलन का नाम भूमि संवाद VI रखा गया है.
भूमि संवाद VI सम्मेलन का मकसद देश में 'यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर' यानी कि ULPIN या भू-आधार को प्रभावी ढंग से लागू कराने में सहयोग करना है. दिल्ली में इस सम्मेलन का आयोजन भूमि संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है.
भूमि संवाद VI सम्मेलन में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह मुख्य अतिथि होंगे. इस अवसर पर फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री, साध्वी निरंजन ज्योति, केंद्रीय राज्य मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास और कपिल मोरेश्वर पाटिल, केंद्रीय राज्य मंत्री, पंचायती राज भी उपस्थित रहेंगे.
इस सम्मेलन में तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे जो निम्नलिखित हैं-
1- 'डेमोक्रेटाइजेशन ऑफ लैंड रिकॉर्ड्स डाटा एंड मातृभूमि'
2- 'एप्लिकेशन ऑफ भू-आधार इन ईज ऑफ डुइंग बिजनेस (E0DB) एंड ईज ऑफ लिविंग'
3-'बेस्ट प्रैक्टिसेस-नेशनल एंड ग्लोबल जियोरेफरेंसिंग/सर्वे/रीसर्वे/यूज ऑफ भू-आधार एंड वे फॉरवर्ड'
इस सम्मेलन में केंद्र के साथ-साथ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिभागी, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय निकाय, व्यापारिक समुदाय और नागरिक समाज और भूमि प्रशासन केंद्र, जियो स्पेसियल वर्ल्ड, एरिस इंडिया टेक्नोलॉजीज, महालनोबिस नेशनल क्रॉप फॉरेस्ट सेंटर, सर्वे ऑफ इंडिया, आईआईटी रुड़की, मैपमाइइंडिया के प्रतिभागियों के साथ अन्य हितधारक शामिल होंगे. सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी-
1- जमीन के पट्टों के जियो-रेफरेंसिंग का स्टेटस, केडेस्ट्रल मैप, भू-आधार जनरेट करना और मिसिंग मोड में सैचुरेशन की रणनीति बनाने पर चर्चा होगी.
2- अलग-अलग स्कीम/सेक्टर, कामकाज में ULPIN या भू-आधार के फायदा, इस्तेमाल और उपयोग पर चर्चा की जाएगी. भू-स्वामियों और हितधारकों से भू-आधार के फीडबैक पर भी चर्चा की जाएगी.
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