खेती के काम के लिए ट्रैक्टर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है. ट्रैक्टर की मदद से कृषि कार्यों को पूरा करने में बड़ी आसानी मिलती है. फसल की बुआई से लेकर कटाई और फिर फसल को बेचने के लिए बाजार ले जाने तक ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. ट्रैक्टर की उपयोगिता को देखते हुए आज हर किसान चाहता है कि उसके पास ट्रैक्टर हो ताकि वह कम समय में आसानी से खेती का काम कर सके. लेकिन कई बार किसान अपने ट्रैक्टर को सही रखने के लिए कुछ ऐसा करते हैं जिसे देख या सुन हम सब हैरान हो जाते हैं.
किसान खेत में ट्रैक्टर चलाते समय उसके पिछले टायर में पानी भरते हैं. ऐसा क्यों किया जाता है, किसान ट्रैक्टर के टायर में पानी क्यों भरते हैं. अक्सर हमारे मन में यह सवाल आता है कि ट्रैक्टर के टायर में पानी भरने के पीछे क्या विज्ञान है. आज हम इसी विषय के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करेंगे.
ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरने को टायरों की बैलस्टिंग कहा जाता है. ट्रैक्टर के टायरों में करीब 60 से 80 प्रतिशत तक पानी भरा जाता है. ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरने का मेन कारण ट्रैक्टर का वजन बढ़ाना होता है. जब ट्रैक्टर के टायरों में पानी भर दिया जाता है तो ट्रैक्टर का वजन बढ़ जाता है जिससे उसके पहियों की जमीन पर पकड़ मजबूत हो जाती है. ज्यादातर ऐसा तब किया जाता है जब ट्रैक्टर को फिसलन वाले खेत या जगह पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि जमीन पर ट्रैक्टर के पहियों की पकड़ बरकरार रहे और फिसलन भी कम हो. खेत जोतने या भारी उपकरण उठाने जैसे काम करते समय इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
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वाटर बैलेस्टिंग या टायरों में पानी भरने के पीछे का कारण यह है कि जब ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरा जाता है, तो उसका वजन बढ़ जाता है जिससे ट्रैक्शन बढ़ जाता है. ट्रैक्शन का सीधा संबंध घर्षण से होता है, जबकि घर्षण वजन पर निर्भर करता है. यही कारण है कि जब ट्रैक्टर में पानी भरा जाता है, तो ट्रैक्टर भारी हो जाता है और ज़मीन पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखता है, जिससे ट्रैक्टर फिसलन भरी सड़कों पर भी आसानी से चल सकता है. यह तकनीक अक्सर बारिश के मौसम में अपनाया जाता है. बारिश के मौसम में जमीन गीली होती है और जमीन पर फिसलन रहती है. जिस वजह से ट्रैक्टर के फिसलने का खतरा बना रहता है.
कई बार ट्रैक्टर को पानी भरे खेत या फिसलन वाली जगह पर चलाना पड़ता है. ऐसे में हवा से भरे टायर हल्के होने की वजह से ज़मीन पर फिसलने लगते हैं, या एक जगह पर घूमने लगते हैं, जिससे ट्रैक्टर चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरकर उन्हें भारी बनाया जाता है, ताकि वे ज़मीन पर मज़बूत पकड़ बनाए रख सकें और फिसलन वाली ज़मीन पर भी आसानी से चल सकें.
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