आलू को जमीन के अंदर होते हुए देखा या सुना होगा, लेकिन आलू प्रौद्योगिकी संस्थान, शामगढ़ में आलू को जमीन या मिट्टी में नहीं, बल्कि हवा में उगाया जा रहा है. ये देखकर हर कोई हैरान है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके आलू की नई किस्में लगाई हैं. अब आलू प्रौद्योगिकी संस्थान, शामगढ़, करनाल के वैज्ञानिकों ने आलू की एक नई किस्म कुफरी उदय का आविष्कार किया है.
खास बात यह है कि आलू वैज्ञानिक एरोपोनिक तकनीक से उगाया जा रहा है. इसे उगाने के लिए न तो मिट्टी की जरूरत होती है और न ही जमीन की. नई तकनीक से आलू की खेती करने के लिए किसान भी केंद्र पर पहुंच रहे हैं. कुफरी उदय के नाम से एक नई किस्म लगाई गई है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है. इसके उच्च गुणवत्ता वाले बीज किसानों तक नहीं पहुंच पाये हैं. इस किस्म को आलू प्रौद्योगिकी केंद्र, शामगढ़ में एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके लगाया गया है. ताकि कम पौधों में अधिक मिनी कंद पैदा कर किसान भाइयों को दिया जा सके.
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र पर मौजूद विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि वैज्ञानिक जीतेंद्र सिंह ने बताया कि करीब 6 लाख मिनी कंद उत्पादन का लक्ष्य है. वैज्ञानिकों की मानें तो आलू की नई किस्म कुफरी उदय के 5 से 6 लाख मिनी कंद पैदा करने का लक्ष्य है. क्योंकि इस किस्म की बाजार में काफी मांग है. इस किस्म की खास बात यह है कि इसका रंग गुलाबी होता है और इसका उत्पादन अधिक होता है. कुफरी जल्दी उत्पादन पाने के लिए उदय पुंखराज को टक्कर दे सकती है. आने वाले समय में इसकी काफी मांग होगी. किसान भाइयों को बाजार में इसके बहुत अच्छे दाम मिलेंगे.
माइक्रो प्लॉट को एपोनिक ग्रोबॉक्स के अंदर प्रत्यारोपित कर पोषक तत्व घोल के माध्यम से दिया जाता है. इसमें न तो मिट्टी का इस्तेमाल होता है और न ही कोको पीट का. सीधे सख्त करने के बाद यहां ट्रांसप्लांट किया जाता है. नेट हाउस उत्पादन की तुलना में उपज चार से पांच गुना अधिक होती है और इतना ही नहीं कम समय में अधिक कंद प्राप्त होते हैं.
इस किस्म की खासियत यह है कि यह 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है. कुफरी पुखराज को टक्कर दे सकता है और दे भी रहा है. यह एक अगेती किस्म है, इसका रंग गुलाबी होता है. इसमें पोषक तत्व अधिक होते हैं. जो हर किसान के लिए फायदेमंद है. कुफरी उदय किस्म किसानों के लिए कम समय में अधिक उपज और अधिक मुनाफा कमाने के लिए पूरी तरह से फायदेमंद साबित होगी.
यूपी, मध्यम प्रदेश राजस्थान, पंजाब आदि के भी किसान आ रहे है. लेकिन उनकी प्राथमिकता हरियाणा के किसानों के लिए है. क्योंकि संस्थान की स्थापना ही इसलिए की गई थी कि प्रदेश के किसानों को हाई क्वालिटी का बीज मिल सकें.
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