बिहार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर एक ऐसी टेक्नोलॉजी इजाद की गई है जिससे पता चलेगा कि खेत में कितने पौधे लगे हैं, उन पौधों की क्या हालत है, खेत में नमी कितनी है और पौधे कितने स्वस्थ हैं. यह टेक्नोलॉजी बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की है. यह ऐसी टेक्नोलॉजी है जो जीपीएस और सेंसर के जरिये काम करेगी. किसानों के लिए इसे क्रांतिकारी मॉडल बताया जा रहा है क्योंकि इससे वे अपने खेतों की सटीक जानकारी ले सकेंगे. उन्हें खेतों में लगी फसल के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.
ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन और कीटों का खतरा फसलों पर बहुत ज्यादा है, यह नई टेक्नोलॉजी कई मायनों में किसानों की मदद करेगी. नई टेक्नोलॉजी की मदद से किसान जान सकेंगे कि खेत में नमी की मात्रा कितनी है और तापमान का क्या हाल है. इस आधार पर किसान अपनी फसलों का बचाव और देखरेख करेंगे. सेंसर खेत में नमी और तापमान के बारे बताएगा जबकि जीपीएस के जरिये पौधों की तस्वीर ली जाएगी. इन तस्वीरों से पता चलेगा कि पौधे की लंबाई क्या है, बढ़वार कितना है और पौधा कितना स्वस्थ है.
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एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने फ्रांस के लिली यूनिवर्सिटी के सहयोग से यह नई टेक्नोलॉजी बनाई है. इसे बनाने वाले कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जीपीएस और सेंसर पर आधारित यह नई तकनीक किसानों का सच्चा साथी साबित होगी. इसकी मदद से किसान जान सकेंगे कि बुआई के बाद उनके खेत में कितने पौधे उग आए हैं. जो पौधे उग गए हैं, उनकी लंबाई क्या है और उनकी सेहत कैसी है. इन सभी बातों की जानकारी किसान घर बैठे ले सकेंगे.
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इस नई टेक्नोलॉजी की मदद से किसान यह भी जान सकेंगे कि खेत में किस खाद की कितनी जरूरत है. साथ ही, अगर फसल में कोई बीमारी लगने की आशंका है, तो किसान को समय रहते जानकारी मिल जाएगी. इससे फसलों के रखरखाव और बीमारी से बचाव में मदद मिलेगी. इस नई टेक्नोलॉजी को तैयार करने से पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया है.
इस काम में फ्रांस की लिली यूनिवर्सिटी ने डाटा साइंस और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़ी मदद की. इसी आधार पर नई टेक्नोलॉजी तैयार की गई. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अभी इस नए मॉडल को लागू कर रहे हैं. इसमें सफलता मिलने के बाद इसे आम किसानों के लिए भी लॉन्च कर दिया जाएगा.
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