smart farming: स्मार्टफोन आधारित स्मार्ट खेतीबिहार कृषि विभाग द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि को लेकर कई कार्य किए जा रहे हैं. राज्य को संधारणीय और जलवायु अनुकूल कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया है. कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वाला संस्थान सस्टेनेबिलिटी मैटर (Sustainability Matter) और इंडिया एग्री (IndiAgri) नई दिल्ली द्वारा कृषि विभाग को तीन पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है. विभाग को जलवायु-स्मार्ट कृषि चैंपियन, मृदा स्वास्थ्य चैंपियन (संधारणीय कृषि कार्यक्रम) और जल संरक्षण चैंपियन (भूमि संरक्षण) श्रेणियों में बेहतर कार्य करने को लेकर सम्मानित किया गया.
कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्देश में राज्य के सभी जिलों में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है. वहीं, अब बिहार के किसान पारंपरिक फसल चक्र में मौसम के अनुकूल फसलों की खेती के प्रति जागरूक हो रहे हैं. साथ ही उसे अपना भी रहे हैं. आज राज्य में मोटे/पोषक अनाज के साथ-साथ कम सिंचाई वाले फसलों का क्षेत्र विस्तार हुआ है. आगे कृषि सचिव ने कहा कि कृषि विभाग किसानों के क्षमता संवर्द्धन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम, मौसम आधारित कृषि सलाह और जलवायु-स्मार्ट कृषि मॉडल को गांव स्तर पर लागू करने की पहल की है.
सचिव कृषि ने बताया कि उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा द्वारा भी किसान कल्याण संवाद के दौरान जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. राज्य में संधारणीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए संतुलित उर्वरकों के उपयोग हेतु मिट्टी जांच कर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाया जा रहा है. वहीं, मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए प्रदेश के किसानों को जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही राज्य के सभी प्रखंडों में सॉइल फर्टिलिटी मैप का प्रदर्शन भी किया जा रहा है ताकी किसानों के बीच कृषि से जुड़ी योजनाओं का अधिक से अधिक जानकारी मिल सके.
कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने तीनों पुरस्कार राज्य के किसानों को समर्पित करते हुए कहा कि बिहार के मेहनतकश किसान, पदाधिकारी और वैज्ञानिक राज्य में संधारणीय और जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम को अपनाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहें है. इसलिए यह तीनों पुरस्कार राज्य के मेहनती किसानों को समर्पित है. आगे उन्होंने कहा कि भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा राज्य के दक्षिणी क्षेत्रों में पक्का चेक डैम, जल संचयन तालाब, कुआं और सूक्ष्म सिंचाई के उपयोग इत्यादि के माध्यम से भूमि और जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन क्षेत्रों में शुष्क बागवानी को क्लस्टर में बढ़ावा दिया जा रहा है.
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