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दूसरे चरण में बीजेपी के लिए यूपी में मुश्किल है रास्‍ता, 8 सीटों पर हैं बड़ी चुनौतियां

दूसरे चरण में बीजेपी के लिए यूपी में मुश्किल है रास्‍ता, 8 सीटों पर हैं बड़ी चुनौतियां

26 अप्रैल को उत्‍तर प्रदेश (यूपी) की आठ सीटों - अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में वोटिंग होगी. टीवी के राम अरुण गोविल और मंच की मीरा हेमा मालिनी के भविष्य का फैसला भी शुक्रवार को हो जाएगा. पहले चरण में जिस तरह की वोटिंग हुई है जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. इसलिए पार्टी वोटिंग को लेकर खास सतर्क हो गई है.

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26 अप्रैल को यूपी की 8 सीटों पर है वोटिंग 26 अप्रैल को यूपी की 8 सीटों पर है वोटिंग

26 अप्रैल को उत्‍तर प्रदेश (यूपी) की आठ सीटों - अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में वोटिंग होगी. टीवी के राम अरुण गोविल और मंच की मीरा हेमा मालिनी के भविष्य का फैसला भी शुक्रवार को हो जाएगा. पहले चरण में जिस तरह की वोटिंग हुई है जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. इसलिए पार्टी वोटिंग को लेकर खास सतर्क हो गई है. कहा जा रहा है कि यूपी की इन सीटों की कमान खुद गृहमंत्री अमित शाह ने खुद संभाल ली है. लेकिन पश्चिमी यूपी की इन सीटों पर जिस तरह का माहौल बना हुआ उससे यही लगता है कि चुनाव का दूसरा चरण भी बीजेपी के लिए खुशी नहीं देने वाला है. 

गर्मी बनी विलेन 

पहले चरण के दौरान यूपी की आठ सीटों पर मात्र 60.25 फीसदी वोटिंग होना बीजेपी के लिए चिंता का विषय था. दरअसल कहा जाता है कि कम वोटिंग होने से हमेशा बीजेपी को नुकसान होता रहा है. शायद यही कारण है कि बीजेपी हर बूथ पर सक्रियता बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. दूसरे चरण के लिए नई रणनीति पर काम शुरू किया गया है. पन्ना प्रमुखों को हर बूथ से वोटर्स को निकालने का टारगेट दिया गया है. एक पन्ना प्रमुख 60 वोट घर से निकलने की जिम्मेदारी निभाएगा.

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इस काम के लिए यूपी सरकार के मंत्रियों और विधायकों के साथ संगठन के पदाधिकारियों को हर जिले में जिम्मा दिया गया है. जाहिर है कि वेस्ट यूपी में जिस तरह हर सीट पर कांटे की टक्कर है उसमें एक-एक वोट की कीमत है. इस बीच पिछले चरण के चुनाव के मुकाबले गर्मी और बढ़ गई है. अगर शुक्रवार को सूरज अपने ताप पर रहता है तो बीजेपी के वोटर्स लापरवाही कर सकते हैं.

राजपूत वोटों की नाराजगी

दो बार के सांसद जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह को टिकट देने से इनकार करने के बाद बीजेपी यहां प्रतिनिधित्व को लेकर क्षत्रियों के  गुस्से का शिकार है. गुजरात में बीजेपी नेता रुपाला के बयान के चलते ठाकुरों ने नाराज होकर कई जगहों पर राजपूत सम्मेलन किए हैं. राजपूत बिरादरी को कसम खिलाई गई है कि बीजेपी को वोट नहीं देना है. कोढ़ पर खाज यह है कि गाजियाबाद, नोएडा में बीएसपी ने राजपूत उम्मीदवार उतार दिए हैं. जबकि बीजेपी ने गाजियाबाद में वैश्य अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है. वहीं बसपा के उम्मीदवार नंद किशोर पुंडीर ठाकुर हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार डॉली शर्मा ब्राह्मण.

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नोएडा में बीजेपी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री और दो बार के सांसद महेश शर्मा भाजपा के टिकट पर फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके मुकाबले सपा के डॉक्‍टर महेंद्र नागर, एक गुर्जर और बसपा के पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी राजपूत हैं. नोएडा के पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि फिलहाल इन दोनों सीटों गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में बीजेपी बहुत मजबूत स्थित में है इसलिए राजपूतों की नाराजगी का असर शायद न पड़े पर पश्चिम यूपी की अन्य सीटों पर जहां बीजेपी कमजोर है वहां पार्टी की बैंड बजा सकते हैं राजपूत.

लोकल मुद्दे हॉवी

बीजेपी चाहती है कि लोकसभा चुनावों में वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़े तो बीजेपी को फायदा हो सकता है. वहीं, विपक्ष ने वेस्ट यूपी के इन सीटों पर माहौल को स्‍थानीय बना दिया है. स्थानीय मुद्दों के हावी होने के चलते बीजेपी को काफी वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. बहुजन समाज पार्टी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश को राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठा दिया है. इसके साथ ही मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर सीटों पर गन्ने की कीमतें और उनका समय पर भुगतान, आवारा जानवरों की समस्या, बढ़ती कीमतें और बंद फैक्ट्रियां जैसे मुद्दे छाए गए हैं. मथुरा में यमुना की सफाई और धार्मिक पर्यटन के विकास तथा नये उद्योगों की स्थापना का मुद्दों पर जनता वोट देने की बात कर रही है. गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर मतदाताओं के पास फ्लैटों की रजिस्ट्री, भूमि अधिग्रहण और मुआवजा मिलने में देरी जैसे मुद्दे हावी हैं.