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लोकसभा चुनाव 2024: इस बार मैदान में कौन से हैं मुख्य राजनीतिक दल और उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव 2024: इस बार मैदान में कौन से हैं मुख्य राजनीतिक दल और उम्मीदवार

19 अप्रैल को करीब एक अरब योग्य मतदाताओं वाले भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया का आगाज हो गया है. देश में 2,500 से अधिक राजनीतिक दल हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 10 के पास संसद के निचले सदन लोकसभा की 86 फीसदी सीटें हैं.  विश्‍लेषकों की मानें तो कुछ पार्टियों के बीच गंभीर मुकाबले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा रहने की संभावना है.

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19 अप्रैल से भारत में हुआ लोकसभा चुनावों का आगाज   19 अप्रैल से भारत में हुआ लोकसभा चुनावों का आगाज

19 अप्रैल को करीब एक अरब योग्य मतदाताओं वाले भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया का आगाज हो गया है. देश में 2,500 से अधिक राजनीतिक दल हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 10 के पास संसद के निचले सदन लोकसभा की 86 फीसदी सीटें हैं.  विश्‍लेषकों की मानें तो कुछ पार्टियों के बीच गंभीर मुकाबले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा रहने की संभावना है. आइए जानिए कि इस बार के चुनावों में कौन-कौन से अहम राजनीतिक दल मैदान में हैं और कितने उम्‍मीदवार हैं. 

कौन-कौन से दल और उम्‍मीदवार 

बीजेपी और पीएम मोदी 

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बीजेपी करीब 180 मिलियन सदस्यों के साथ दुनिया का सबसे बड़े राजनीतिक संगठन, जनसंघ पार्टी से निकला था. सन् 1980 में गठन के बाद राजनीतिक हाशिये पर संघर्ष करने के बाद, भाजपा ने 16 साल बाद 13 दिनों तक चलने वाली अस्थिर सरकार में अपना पहला प्रधान मंत्री बनाया.  पार्टी ने साल 2014 में मोदी के नेतृत्व में पहली बार अपने दम पर बहुमत के साथ सरकार बनाई.  तब से यह सशक्त रूप से सत्ता में है. 

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नरेंद्र मोदी पार्टी के महत्‍वपूर्ण नेता हैं और तीसरे कार्यकाल की तरफ देख रहे हैं. 73 साल के मोदी का जन्म और पालन-पोषण पश्चिमी राज्य गुजरात के एक छोटे से शहर में हुआ था.  वह 20 साल की उम्र में आरएसएस और करीब डेढ़ दशक बाद पार्टी का हिस्‍सा बन गए. पिछले कुछ सालों में वह तेजी से आगे बढ़े हैं और साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी को निर्णायक जीत दिलाने से पहले तीन से अधिक बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. अनुमान है कि हिंदू बहुसंख्यकों को लगातार लुभाने, मजबूत आर्थिक विकास और मदद के चलते उनकी और बीजेपी की आसान जीत होगी. मोदी, उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी से फिर से निर्वाचित होने की कोशिश कर रहे हैं. 

कांग्रेस और राहुल गांधी 

कांग्रेस, भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और उसने सन् 1947 में आजादी के बाद से दो-तिहाई से ज्‍यादा समय तक भारत पर राज किया है. लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद उसे संघर्ष करना पड़ा है.  कांग्रेस ने अपनी पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी दी और सन् 1991 में व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिससे एक खुली बाजार अर्थव्यवस्था के विकास का रास्‍ता खुला.  लेकिन साल 2014 में मोदी के हमले और भ्रष्‍टाचार के आरोपों की वजह से सत्ता से बाहर हो गई. 

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पीएम मोदी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के स्टार प्रचारक, राहुल गांधी कभी भी केंद्र या राज्य सरकार में मंत्री नहीं रहे. उन पर अपनी पार्टी को आम चुनाव में जीत नहीं दिलाने का ठप्‍पा लगा हुआ है. साल 2019 में के चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद राहुल ने पार्टी प्रमुख का पद छोड़ दिया था.  फिर भी वह भारत की विपक्षी राजनीति के केंद्र में और मोदी के मुख्य निशाने पर बने हुए हैं. उनके पिता, दादी और परदादा सभी प्रधानमंत्री थे और उन्होंने 37 वर्षों से अधिक समय तक देश का नेतृत्व किया.

53 साल के राहुल गांधी चार बार के संसद सदस्य हैं. उन्होंने अपने अभियान को सशक्त बनाने और नौकरियों की कमी, आय असमानता और ग्रामीण संकट पर मोहभंग का फायदा उठाने के लिए दो देशों की यात्राएं कीं. राहुल गांधी इस बार चुनाव दक्षिणी राज्य केरल के वायनाड से लड़ रहे हैं. वहीं उनकी मां सोनिया गांधी ने इस साल का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. 

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आम आदमी पार्टी (आप)
आम आदमी पार्टी 2011 में एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरी, जो अन्‍ना हजारे के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों के बीच उभरी थी. केजरीवाल ने साल 2012 में आप पार्टी का गठन किया और साल 2015 में राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक स्थानीय सरकार बनाई.इससे भाजपा और कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टियों के लिए अप्रत्याशित राजनीतिक उलटफेर हुआ. केजरीवाल, जो तब से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, एक कट्टर मोदी आलोचक और आगामी चुनावों में कांग्रेस के सहयोगी हैं.  हालांकि भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में केजरीवाल सहित कई अधिकांश हाई-प्रोफाइल नेताओं की चुनाव पूर्व गिरफ्तारियों से पार्टी की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं. 

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द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)
भारत के दक्षिण में एक मजबूत क्षेत्रीय ताकत, डीएमके संसद के निचले सदन में सीटों की संख्या के मामले में भारत की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस की सहयोगी डीएमके तमिलनाडु राज्य भी चलाती है, जहां गरीबी दर दो फीसदी है, जो देश में सबसे कम में से एक है और उच्च साक्षरता दर का दावा करती है. 

भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)
संसद में सीटों के हिसाब से भारत की चौथी सबसे बड़ी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस पूर्व में पश्चिम बंगाल में शासन कर रही है. यह पार्टी करीब 25 साल पहले कांग्रेस से अलग होने के बाद अस्तित्व में आई थी.  पार्टी की संस्थापक ममता बनर्जी लगभग 13 सालों से पश्चिम बंगाल में राजकाज संभाल रही हैं. अब 2024 के चुनावों में भाजपा से लड़ने के लिए कांग्रेस की अनिच्छुक सहयोगी हैं.  चुनाव में टीएमसी उम्मीदवारों में से एक महुआ मोइत्रा हैं, जो मोदी की लगातार आलोचक हैं. इनवेस्‍टमेंट बैंकर रहीं महुआ को संसद में सवाल पूछने के बदले एक व्यवसायी से रिश्वत लेने के आरोप में पिछले साल संसद से निष्कासित कर दिया गया था.  मित्रा का कहना है कि आरोप मनगढ़ंत हैं.