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Lok Sabha Election 2024: यूपी की लोकसभा सीट रामपुर, सहारनपुर-मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर में सीधा टकराव, सपा-बीजेपी प्रत्याशी आमने-सामने

Lok Sabha Election 2024: यूपी की लोकसभा सीट रामपुर, सहारनपुर-मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर में सीधा टकराव, सपा-बीजेपी प्रत्याशी आमने-सामने

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. 19 अप्रैल को मतदान होना है जिसके नामांकन का काम आज यानि 27 मार्च को पूरा हो जाएगा. पहले चरण में देश की कुल 102 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इनमें से यूपी की 8 सीटों पर भी चुनाव होगा. यहां हम बात करने वाले हैं 4 सीटों रामपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर की सीटों के बारे में.

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लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा.

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. 19 अप्रैल को मतदान होना है जिसके नामांकन का काम आज यानि 27 मार्च को पूरा हो जाएगा. पहले चरण में देश की कुल 102 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इनमें से यूपी की 8 सीटों पर भी चुनाव होगा. यहां हम बात करने वाले हैं 4 सीटों रामपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर की सीटों के बारे में. आईए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की इन चार लोकसभा सीटों का सियासी समीकरण.

सहारनपुर: 1952 के पहले चुनाव से ही दिलचस्प रहा है सफर 

सहारनपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने इमरान मसूद को तो बीजेपी ने राघवलखन पाल को मैदान में उतारा है. इस सीट का सफर बहुत दिलचस्‍प रहा है. यह सीट कई मायनों में सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम मानी जाती है. सहारनपुर सीट पर सबसे पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था और तभी से यह सीट कांग्रेस का गढ़ बन गयी. 1952 से लेकर 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था. 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव से लेकर 1996 तक इस सीट पर जनता दल या जनता पार्टी का कब्जा रहा.दो बार की हार के बाद 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर यंहा पर बाज़ी मारी थी. 

1996 के बाद सहारनपुर सीट दो बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार बहुजन समाज पार्टी, एक बार समाजवादी पार्टी और फिर 2014 में मोदी लहर के चलते 16 साल बाद यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी. इससे पहले भाजपा 1998 में इस सीट से चुनाव जीती थी.लेकिन 2019 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर बसपा ने कब्जा कर लिया. 2019 में सहारनपुर लोकसभा सीट से महागठबंधन से प्रत्याशी बने बसपा के हाजी फजलुर्रहमान ने 514139 वोट पाकर जीत दर्ज की. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राघव लखनपाल को 22,417 वोटों से हरा कर इस सीट पर अपना परचम लहराया और इस सीट से लोकसभा सांसद बने. इस लोकसभा सीट पर दलित और मुस्लिम वोट डिसाइडिंग फ़ैक्टर रहते हैं, जो इसे राजनीतिक दलों के लिए अहम बनाता है.

मुरादाबाद: हर बार नया सांसद लाते हैं यहां के वोटर्स 

आजम खान की जिद्द ने अखिलेश यादव को मुरादाबाद में अपना प्रत्याशी बदलने पर मजबूर कर दिया है. एसटी हसन की जगह सपा अब रुचिवीरा को अपना उम्मीदवार बना रही है, जबकि बीजेपी ने फिर कुंवर सर्वेश सिंह पर अपना दांव लगाया है.

मुरादाबाद उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है. मुरादाबाद, पीतल हस्तशिल्प उद्योग के कारण पीतल-नगरी (Pital Nagari) के नाम से मशहूर है. यहां बने पीतल के सामान का निर्यात कई देशों में होता है, जिसके चलते मुरादाबाद इंपोर्ट एक्सपोर्ट हब भी है. मुरादाबाद लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं. मौजूदा सांसद की बात करें तो डॉ. एसटी हसन समाजवादी पार्टी से मुरादाबाद लोकसभा सीट से सांसद हैं. हालांकि, मुरादाबाद का इतिहास रहा है कि यहां हर लोकसभा चुनावों में अलग पार्टी का सांसद बनता है जैसे 2019 में सपा सांसद, 2014 में भाजपा से सांसद कुंवर सर्वेश सिंह, 2009 में कांग्रेस से क्रिकेटर मोहम्मद अजरूद्दीन सांसद रह चुके हैं.

मुजफ्फरनगर: उठापटक के लिए जानी जाती है ये सीट 

मुजफ्फरनगर से बीजेपी अपने जाट चेहरे संजीव बालियान को तीसरी बार मैदान में उतारा है तो सपा ने कांग्रेस से आये जाट नेता चौधरी हरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट की करें तो यह सीट 2013 दंगे के बाद से उत्तर प्रदेश की मुख्य सीटों में गिनी जाती है.क्योंकि 2013 दंगे के बाद 2014 में जो लोकसभा के चुनाव हुए थे उसमें भारतीय जनता पार्टी ने सभी पार्टियों का एक तरफ सुपड़ा साफ कर दिया था. 2014 के इस चुनाव में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने डॉक्टर संजीव बालियान को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था. बीजेपी की इस आंधी में संजीव बालियान को इस चुनाव में 653391 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नम्बर पर रहे बसपा के प्रत्याशी कादिर राणा मात्र 252241 वोट ही मिल पाए थे. 

2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने एक बार फिर से डॉक्टर संजीव बालियान पर अपना दाव लगाया था. इस बार संजीव बालियान के सामने राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अजीत सिंह थे. इस चुनाव में भी संजीव बालियान ने जीत हासिल करते हुए अजीत सिंह को 6526 वोट से हराकर यह चुनाव जीता था. इस चुनाव में डॉक्टर संजीव बालियान को 573780 वोट मिले थे जबकि अजीत सिंह को 567254 वोट मिल पाए थे.

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इसी सीट पर 2019 चुनाव के अनुमानित आकड़ों के मुताबिक लगभग 17 लाख के आसपास मतदाता है, जिसमें लगभग 5 लाख मुस्लिम, 2 लाख दलित, डेढ़ लाख जाट, 130000 कश्यप, 120000 सैनी, 115000 वैश्य और लगभग 480000 ठाकुर, गुर्जर, त्यागी, ब्राह्मण, पाल, प्रजापति, सुनार और अन्य बिरादरियां हैं.

रामपुर: सबसे ज्यादा 10 बार कांग्रेस को मिला सांसद 

ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान सितंबर 1774 ईस्वी में रामपुर रियासत का उदय हुआ यहां पर 1949 तक कुल 10 नवाबों में शासन किया है.देश की आजादी के बाद 1952 में हुए आम चुनाव में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद यहीं से चुनकर संसद तक पहुंचे थे.यहां पर नवाब खानदान के अलावा भाजपा कि मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी अभिनेत्री जयाप्रदा और सपा के फायर ब्रांड नेता आज़म खान जीत हासिल कर चुके हैं.

चुनावी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 1952 से 2019 तक के चुनाव में यहां पर काफी उलट फेर देखने को मिले हैं. यहां से 10 बार कांग्रेस, चार बार भाजपा, तीन बार सपा और एक बार भारतीय लोकदल से निर्वाचित हुए सांसद लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में रामपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर राजनीतिक एतबार से धर्म और जाति कोई खास मायने नहीं रखती है. यही कारण है कि यहां के मतदाता दूसरे धर्म या जाति वाले प्रत्याशी को चुनने में किसी तरह का कोई गुरेज नहीं करते हैं.

रामपुर लोकसभा की राजनीतिक पृष्ठभूमि के एतवार से इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े दल के रूप में कांग्रेस की फेहरिस्त में यहां की सीट भी है.जबकि सपा भी यहां पर मजबूत दावा पेश करती देखी जा सकती है.वहीं दूसरी ओर भाजपा के दिग्गजों ने भी विरोधियों को कई मौके पर चुनावी रण में धूल चढ़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है. (रिपोर्ट- कुमार अभिषेक, लखनऊ)

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