scorecardresearch
न अस्‍पताल, न कोई डिपार्टमेंटल स्‍टोर, फिर भी नाव से वोट डालने पहुंचे गोवा के वैनक्सिम द्वीप के वोटर्स 

न अस्‍पताल, न कोई डिपार्टमेंटल स्‍टोर, फिर भी नाव से वोट डालने पहुंचे गोवा के वैनक्सिम द्वीप के वोटर्स 

मंगलवार यानी सात मई को लोकसभा चुनाव का तीसरा दौर था. इस चरण में 93 सीटों के अंतर्गत गोवा में भी वोट डाले गए. यहां पर यूं तो वोटिंग हर बार खास रहती है लेकिन गोवा के वैनक्सिम द्वीप पर हुई वोटिंग कई वजहों से चर्चा में रहती है. यहां की सबसे खास बात यह है कि वोटर्स को नाव पर सवार होकर पोलिंग बूथ तक जाना पड़ता है. वैनक्सिम द्वीप की आबादी  की अगर बात करें तो यहां पर सिर्फ 152 लोग ही रहते हैं.  

advertisement
इस द्वीप पर सिर्फ 152 लोग ही रहते हैं इस द्वीप पर सिर्फ 152 लोग ही रहते हैं

मंगलवार यानी सात मई को लोकसभा चुनाव का तीसरा दौर था. इस चरण में 93 सीटों के अंतर्गत गोवा में भी वोट डाले गए. यहां पर यूं तो वोटिंग हर बार खास रहती है लेकिन गोवा के वैनक्सिम द्वीप पर हुई वोटिंग कई वजहों से चर्चा में रहती है. यहां की सबसे खास बात यह है कि वोटर्स को नाव पर सवार होकर पोलिंग बूथ तक जाना पड़ता है. वैनक्सिम द्वीप की आबादी  की अगर बात करें तो यहां पर सिर्फ 152 लोग ही रहते हैं.  

प्राइमरी स्‍कूल में बना बूथ 

मंडोवी नदी पर बसा वैनक्सिम द्वीप किसी भी पुल से जुड़ा नहीं है. यहां तक पहुंचने के लिए सिर्फ नाव की ही मदद ली जा सकती है. इन बोट्स को राज्‍य सरकार की तरफ से संचालित किया जाता है. कई यात्री और यहां तक कि कई तरह के वाहन भी नाव पर सवार होकर इस द्वीप तक पहुंचते हैं. यह द्वीप, जिसे किसी जमाने में पुर्तगालियों की तरफ से 'कैपाओ' के नाम से जाना जाता था, नॉर्थ गोवा के कंबरजुआ निर्वाचन क्षेत्र में साओ मतियास पंचायत के अंतर्गत आता है और इसमें 152 मतदाता हैं. मतदान से चार दिन पहले यानी 3 मई को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने द्वीप की आबादी के लिए यहां के इकलौते सरकारी प्राइमरी स्‍कूल में एक पोलिंग बूथ बनाया था. 

यह भी पढ़ें-चुनाव आयोग ने तेलंगाना की वेलफेयर स्कीम को रोका, किसानों के फंड से जुड़ा है मामला  

फर्स्‍ट टाइम वोटर्स को क्‍या मिला 

चुनाव आयोग की तरफ से इसे एक अनूठी पहल करार दिया गया था. मतदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए, बूथ अधिकारियों ने कुछ प्रोत्साहन की पेशकश की - गर्मी से राहत के लिए कोल्‍ड ड्रिंक और फर्स्‍ट टाइम वोटर्स के लिए केकड़े की बनी डिशेज की पेशकश की गई थी. मतदान केंद्र के बाहर एक डोंगी भी लगाई गई थी जो कि प्रतीकात्‍मक थी. इस डोंगी का प्रयोग नाव के आने से पहले ट्रांसपोर्ट के लिए किया जाता था.  पीठासीन अधिकारी प्रसाद नाइक ने कहा, 'यहां की आबादी काफी कम है. चूंकि सड़क के रास्‍ते कोई सीधी पहुंच नहीं है, इसलिए यहां एक मतदान केंद्र स्थापित किया गया है.' 

यह भी पढ़ें-किसानों ने BJP के खिलाफ खोला मोर्चा, इंसाफ यात्रा नाम से चलाई मुहिम

सरकार से वोटर्स की उम्‍मीदें  

इस द्वीप के निवासियों के लिए आजीविका के तौर पर धान की खेती और मछली पकड़ना सबसे अहम रहा है. लेकिन बहुत ज्‍यादा माइनिंग की वजह से यहां पर मछली प्रजनन में भी तेजी से कमी आई है. वहीं बार-बार बांध टूटने की वजह से लोग खेती से भी दूर हो गए हैं. साथ ही कई युवा परिवार समेत दूसरे शहरों में चले गए हैं या रोजगार के लिए विदेश चले गए हैं. यहां पर कोई अस्पताल नहीं है और न ही कोई फार्मेसी है. सिर्फ इतना ही नहीं यहां पर कोई भी डिपार्टमेंटल स्टोर तक नहीं है. इस वजह से रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए के लिये पड़ोसी द्वीप के लिए नाव की जरूरत पड़ती है. यहां पर वोटर्स ने एक पुल और एक अस्‍पताल के लिए वोट डाला है.