इस बार की लोकसभा चुनाव में बिहार की बक्सर की सीट काफी हॉट सीट बनी हुई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस सीट के सिटिंग सांसद अश्विनी चौबे का पत्ता काट दिया है. यहां से मिथिलेश तिवारी को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. लेकिन इस सीट से चुनाव लड़ने को लेकर एक और नाम खूब चर्चा में था. असम के लखीमपुर के एसपी आनंद मिश्रा इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. टिकट घोषणा से पहले तक माना जा रहा था कि अश्विनी चौबे का पत्ता कटने के बाद आनंद मिश्रा ही सीट से बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. लेकिन घोषणा हुई तो बीजेपी ने सबको चौंका दिया. यहां से मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया.
आनंद मिश्रा इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए को खूब मेहनत कर रहे थे. आनंद मिश्रा नौकरी से स्वैच्छिक रिटायरमेंट यानी वीआरएस लेकर बक्सर में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. हालांकि बक्सर की सीट पर आनंद मिश्रा पहले नहीं थे जिन्होंने नौकरी से वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने का सपना देखा था. इस सीट से पहले भी बिहार के एक बड़े आईपीएस अधिकारी गच्चा खा चुके हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे बक्सर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे.
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इसके लिए गुप्तेश्वर पांडे ने नौकरी से वीआरएस लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की सदस्यता भी ली थी. ऐसा माना जा रहा था कि नीतीश कुमार गुप्तेश्वर पांडे को बक्सर से चुनाव लड़ने के लिए अपनी पार्टी का सिंबल देंगे. लेकिन सीट बंटवारे के वक्त यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई. बीजेपी ने सीट से परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दिया था. जिसके वजह से गुप्तेश्वर पांडे चुनाव नहीं लड़ पाए. अब ठीक उसी तरह एसपी आनंद कुमार मिश्रा भी गच्चा खा गए.
पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा काफी दिनों से बक्सर में लोगों के बीच जाकर सड़क जागरूकता से लेकर कई कामों में भाग ले रहे थे. ऐसे में टिकट नहीं मिलने पर आनंद मिश्रा समेत उनके समर्थक मायूस हैं. कहा जा रहा है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि वह क्या फैसला लेते हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने जो कुछ कहा है, उससे साफ हो जाता है कि वह बीजेपी के फैसले से निराश हैं. आनंद मिश्रा की मानें तो बीजेपी के उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी लोगों से उस तरह से नहीं जुड़ पाएंगे जिस तरह वह जुड़े हुए हैं.
(अनिकेत कुमार की रिपोर्ट)
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