देश में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. Finance Minister निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश किया गया Budget भी इसका प्रमाण है. बजट में वित्त मंत्री ने 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य तय किया है. सरकार के इन उपायों का ही नतीजा है कि गुजरात में 10 लाख किसान अब तक रासायनिक खेती से तौबा कर अब रसायन रहित प्राकृतिक खेती की ओर शिफ्ट कर चुके हैं. इस दिशा में यूपी सरकार भी व्यापक पैमाने पर प्रयास कर रही है. इसके फलस्वरूप यूपी में भी 2 लाख किसानों ने रासायनिक खेती से दूरी बनाते हुए प्राकृतिक या जैविक खेती की तरफ रुख किया है. इस संख्या को बढ़ाने के लिए यूपी सरकार ने भी गुजरात की तर्ज पर किसानों को जैविक खेती की ओर ले जाने का Roadmap तैयार कर लिया है.
यूपी की योगी सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को खेती की इस विधा से जोड़ने के प्रयास कर रही है. इसके लिए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अगुवाई में यूपी सरकार ने प्राकृतिक खेती की 3 दिवसीय National Workshop का आयोजन किया. यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने किसान तक को बताया कि इसके पहले चरण की कार्यशाला 19 जुलाई को लखनऊ और दूसरे चरण में 20 जुलाई को अयोध्या में संपन्न हुई. इसके बाद अब अंतिम चरण की कार्यशाला 26 जुलाई को बांदा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित की जाएगी.
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शाही ने कहा कि यूपी में भी गुजरात की तर्ज पर किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए व्यवहारिक प्रशिक्षण के अलावा तकनीकी सहयोग और संसाधन मुहैया कराने में सरकार किसानों की मदद कर रही है. शाही ने स्वीकार किया कि गुजरात में काफी तेज गति से किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं. इससे सबक लेने के लिए यूपी के किसानों को भी शिक्षण प्रशिक्षण हेतु गुजरात भेजा जाएगा.
शाही ने कहा कि पिछले 3 सालों में यूपी के 2 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है. इसके लिए पूर्वांचल और पश्चिमी जिलों में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा के तटीय क्षेत्रों में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है. इसके अलावा परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत बुंदेलखंड में सभी 7 जिलों के 47 ब्लॉक में 50-50 हेक्टेयर के क्लस्टर बनाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के तौर तरीकों से अवगत कराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले साल इन किसानों को प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें अब नए उपकरणों से लैस किया जा रहा है. अब इन किसानों ने प्राकृतिक पद्धति से जहर मुक्त खेती करना शुरू भी कर दिया है. शाही ने कहा कि कार्यशाला में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का एक शोध पत्र भी पेयश किया गया. इसमें रासायनिक खेती के पंजाब में दिख रहे दुष्परिणामों का जिक्र किया गया है. शाही ने शाेधपत्र के हवाले से कहा कि पंजाब में अंधाधुंध तरीके से इस्तेमाल हुए रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के कारण खेती की जमीन भी जहरीली हो गई है. इसका असर इंसान की सेहत पर भी पड़ा है. जिसका नतीजा ही कैंसर एक्सप्रेस ट्रेन है. शाही ने कहा कि इस स्थिति से निपटने में प्राकृतिक खेती ही एकमात्र समाधान है.
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प्राकृतिक खेती से उपजे उत्पादों को पुख्ता बाजार नहीं मिल पाने की समस्या के सवाल पर शाही ने कहा कि पिछले एक साल में इस समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए काफी काम हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके लिए प्राकृतिक खेती के उत्पादों को PGS Certification से जोड़ने में भी किसानों की मदद की जा रही है. साथ ही Market Linkage के तहत भी इन उत्पादों को पुख्ता बाजार मुहैया कराया जा रहा है.
शाही ने कहा कि कार्यशाला में शिरकत करने आए किसानों ने भी गुजरात के राज्यपाल को बताया कि उनके द्वारा उपजाए गए उत्पादों को न केवल बेहतर बाजार की सुविधा मिलने लगी है, बल्कि इन उत्पादों के अच्छे दाम भी मिलने लगे हैं. साथ ही Online Platform के जरिए भी किसानों को Natural Farming Products को बेचने का विकल्प मुहैया कराया जरा रहा है. शाही ने कहा कि सरकार द्वारा प्राकृतिक एवं जैविक उत्पादों की Processing Unit लगाने के लिए भी किसानों को मदद दी जा रही है. इससे किसान अब सेहत और मुनाफा सुनिश्चित करने वाली प्राकृतिक खेती करने के लिए तेजी से आगे आ रहे हैं.
शाही ने कहा कि बाजार की समस्या से निपटने में गांव की महिलाएं भी मददगार साबित हो रही हैं. महिलाओं के Self Help Groups और FPO किसानों के जैविक उत्पाद खरीद कर इनके प्रसंस्कृत उत्पादों की बिक्री कर किसानों के साथ अपने परिवार की आय भी बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं.
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