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योगी सरकार ने आलू किसानों को दी बड़ी सौगात, अब मंडियों से भी करेगी खरीदी

योगी सरकार ने आलू किसानों को दी बड़ी सौगात, अब मंडियों से भी करेगी खरीदी

यूपी में इस साल आलू की बंपर पैदावर हुई है. इससे किसानों को भंडारण एवं बिक्री में परेशानी पैदा हो गई. इसे देखते हुए राज्य की योगी सरकार ने आलू की बिक्री के लिए हॉफेड द्वारा आलू के क्रय केन्द्र खोलने के बाद अब मंडी परिषद को भी आलू के क्रय केन्द्र खोलने के लिए कहा है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में आलू की लगभग आधी भंडारण क्षमता का ही अभी दोहन हुआ है. इसलिए किसान आलू की बिक्री एवं भंडारण काे लेकर परेशान न हों.

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यूपी के उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार आलू किसानों के हितों को सुरक्षि‍त रखेगी यूपी के उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार आलू किसानों के हितों को सुरक्षि‍त रखेगी

यूपी के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रतात सिंह ने आज बताया कि आलू उत्पादक किसानों की समस्या को देखते हुए सरकार ने तत्काल प्रभावी कार्रवाई करते हुए 'बाजार हस्तक्षेप योजना' को लागू किया है. इसके तहत आलू की बिक्री का दायरा बढ़ाने के क्रम में सरकार ने राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हाॅफेड) को आलू उत्पादन से जुड़े 17 जिलों में क्रय केंद्र खोलने को कहा था. उन्होंने कहा कि अब राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा भी 'बाजार हस्तक्षेप योजना' के अन्तर्गत सभी आलू उत्पादक जनपदों में क्रय केन्द्र खोले जायेंगे. जिससे किसानों को उपज के भंडारण एवं बिक्री में कोई परेशानी न हो.

ये है मौजूदा स्थि‍ति‍

सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 से पहले यूपी में आलू का क्षेत्रफल 6.14 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 155.43 लाख मी. टन था. सरकार के प्रयासों से आलू का रकबा एवं उत्पादन बढ़कर इस साल  6.94 लाख हेक्टेयर हाे गया है, जबकि संभावित उत्पादन लगभग 242.93 लाख मी. टन हो गया है. उन्होंने भंडारण क्षमता के बारे में कहा कि वर्ष 2017 तक प्रदेश में कुल 1708 कोल्ड स्टोरेज थे. इनकी भंडारण क्षमता 130.26 लाख मी. टन थी. अब कोल्ड स्टोरेज की संख्या बढ़कर 1971 हो गई है, जिनकी भंडारण क्षमता 162.62 लाख मी. टन है. उन्होंने कहा कि अभी तक मात्र 88.14 लाख मी. टन कोल्ड स्टोरेज में में रखा गया है. अभी भी 74.48 लाख मी. टन (45.80 प्रतिशत) की भंडारण क्षमता का उपयोग अभी नहीं हुआ है. इसलिए किसानों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. 

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बाजार भाव का हाल  

सिंह ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के दौरान जनवरी, फरवरी एवं मार्च में आलू के औसत बाजार भाव क्रमशः 603.20 रुपये प्रति कुन्तल, 566.20 रुपये प्रति कुन्तल व 655.20 रुपये प्रति कुन्तल थे. वहीं, 2017 से 2022 में इन्ही तीन महीनों के दौरान आलू के औसत बाजार भाव 810.40 रुपये प्रति कुन्तल, 726.80 रुपये प्रति कुन्तल एवं रुपये 828.20 प्रति कुन्तल रहे. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी आलू के औसत थोक बाजार भाव 831 रुपये प्रति कुन्तल से 1644 रुपये प्रति कुन्तल के मध्य रहे. जनवरी, 2023 में आलू का औसत बाजार भाव 845 रुपये प्रति कुन्तल था.

समस्या की जड़

सिंह ने कहा कि प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक जिलों, कन्नौज एवं फर्रूखाबाद में आलू की अगेती फसल (कच्ची खोद का आलू) अधिक क्षेत्रफल में लगाई जाती है, जो दिसंबर के पहले सप्ताह से बाजार में आना प्रारम्भ हो जाती है. पिछले साल सितंबर के अन्तिम सप्ताह एवं अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई अधिक वर्षा से अगेती फसल की बुवाई देर से हुई, जिसके कारण आलू की अगेती फसल, आलू की मुख्य फसल के साथ तैयार होने से बाजार में आलू की आवक बढ़ गयी.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष आलू की फसल के लिए अनुकूल मौसम भी था. इस कारण उम्मीद से ज्यादा उत्पादन हुआ. यही वजह रही कि प्रदेश की प्रमुख आलू मंड‍ियों में आलू की अधिक आवक के कारण फरवरी, 2023 में आलू का औसत बाजार भाव 683 रुपये प्रति कुन्तल हो गया. इसके मद्देनजर, मार्च के पहले सप्ताह में प्रदेश आलू के थोक बाजार भाव में कमी आने का सिलसिला नहीं रुकने पर सरकार को किसानों के हित में प्रभावी कार्रवाई करनी पड़ी. 

कारोबारियों की मिलीभगत से पैदा हुआ संकट

सिंह ने कहा कि आलू किसानों की इस समस्या के निराकरण हेतु राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त ने 06 मार्च को प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों के किसानों से सीधे मुलाकात कर भंडारण एवं विपणन सम्बन्धी समस्याओं के सम्बन्ध में जानकारी ली. जिससे स्पष्ट हुआ कि प्रमुख आलू व्यापारी, आढ़ती एवं कोल्ड स्टोरेज मालिक मिलकर आलू की खरीद कम दामों पर कर रहे हैं. इन्हीं लोगों की वजह से किसानों के आलू को भंडारित कराने में भी बाधा उत्पन्न की गई.

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उन्होंने कहा कि यह स्थ‍िति उजागर होने के बाद फर्रूखाबाद में आलू के विपणन, भंडारण तथा मंडी सम्बन्धी समस्याओं के सम्बन्ध में संबद्ध अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई. इसके अलावा हालात पर नजर रखने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त, उद्यान विभाग एवं राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के वरिष्ठ अधिकारी प्रतिदिन समीक्षा बैठक कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आलू उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाये जाने के लिए सभी शीतगृहों पर उद्यान विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गयी है, जो आलू भंंडारण में किसानों की सहायता कर रहे हैं, जिससे किसान सुगमता से कोल्ड स्टोरेज में अपने आलू का भंडारण कर सकें.

मंडी में ई-नैम व्यवस्था से हो रही खरीद

सिंह ने बताया कि यूपी की मंड‍ियों में किसानों को आलू के उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए जिन राज्यों में आलू की कीमत ज्यादा है, वहां ई-नैम के माध्यम से ई-ट्रेड व्यवस्था तत्काल आरम्भ करने की गयी है. प्रथम चरण में फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, बाराबंकी आदि जनपदों में ई-नैम से नीलामी हेतु लाॅट लगवाने की व्यवस्था की गई है.

इसके फलस्वरूप 11 मार्च को फर्रूखाबाद, औरैया एवं इटावा में 470 से 600 रुपये प्रति कुन्तल की दर से 2856.80 कुन्तल आलू की खरीद हुई. जबकि 06 मार्च को मंडी में आलू का भाव 450 रुपये प्रति कुन्तल था. इतना ही नहीं यूपी से 15000 टन आलू का निर्यात नेपाल को हाॅफेड के माध्यम से करने का अनुबन्ध हो चुका है, इसकी पहली खेप फर्रूखाबाद से 11 मार्च को रवाना की जा चुकी है. साथ ही आगरा से 600 टन आलू का निर्यात मलेशिया, दुबई एवं कतर के लिए 11 मार्च को किया गया है. 

आलू की सरकारी खरीद भी हो रही

सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके निमित्त ही बाजार हस्तक्षेप योजना इस वर्ष लागू कर दी गयी है. इसके तहत किसानों के औसत गुणवत्ता के आलू की 650 रुपये प्रति कुन्तल की दर से सरकारी खरीद शुरू की गई है.

उन्होंने बताया कि इसके पहले चरण में मैनपुरी, एटा, कासगंज, फर्रूखाबाद, कौशाम्बी, उन्नाव एवं बरेली में हाॅफेड के क्रय केन्द्र खोले जा रहे हैं. हाॅफेड के माध्यम से आलू निर्यात के ठोस प्रयासों के फलस्वरूप निर्यातकों से मांग भी मिलने लगी है.

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