लकड़ी की बनी आंकुरी (Aankuri) एक ऐसी वस्तु भी है जिसका नाम क्षेत्र के हिसाब से बदल जाता है, लेकिन उपयोग वही रहता है. इससे खेतों में कांटे हटाने, फसल समेटने, तूड़ी निकालने, मिट्टी जमा करने जैसे कई काम किए जाते हैं. आंकुरी को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर में इसे सोखनी और छिंगी कहते हैं. अजमेर, भीलवाड़ा और जयपुर में इसे झेली कहा जाता है. वहीं, पूर्वी राजस्थान (rajasthan) में झरिया और आंकुरी कहते हैं. इतना ही नहीं, एक ही जिले के अलग-अलग गांवों में इसका नाम बदल जाता है. वीडियो में जानें और किस तरह आंकुरी का किया जाता है इस्तेमाल.
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