
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) अदलपुरा ने यूरोग्रीन क्रॉप साइंसेज वाराणसी के साथ महत्वपूर्ण समझौता किया है. इस समझौते के तहत कंपनी लोबिया की काशी निधि और भिंडी की काशी सहिष्णु किस्मों का व्यावसायिक बीज उत्पादन करेगी. यह समझौता आईआईवीआर की ‘काशी ब्रांड’ की किस्मों में बीज कंपनियों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है और वाराणसी को एक उभरते सब्जी बीज हब के रूप में स्थापित करता है. आपको बता दें कि संस्थान ने इससे पहले भी काशी ब्रांड किस्मों के लिए कई दूसरी कंपनियों को लाइसेंस दिया है.
संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में यह समझौता हुआ. कंपनी की ओर से निदेशक ए.के. मिश्रा और पी.के. सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह कार्यक्रम एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर और जोनल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट यूनिट के बैनर तले आयोजित किया गया. इस अवसर पर आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने किसानों तक उन्नत किस्मों के तीव्र प्रसार में सार्वजनिक एवं निजी दोनों की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने बताया कि आईआईवीआर ने अब तक 27 सब्जी फसलों में 129 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की हैं. IIVR के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि किसानों तक उन्नत किस्मों के प्रसार में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है.
उन्होंने कंपनियों से निवेदन किया कि वे किसानों को शुद्ध बीज उपलब्ध कराएं. यह लाइसेंसिंग किसानों की आय बढ़ाने और टिकाऊ सब्जी उत्पादन तकनीकों को बढ़ावा देने के संस्थान के मिशन को मजबूत करेगी.
संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि 'काशी सहिष्णु' किस्म किसानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद है क्योंकि यह दो प्रमुख वायरल रोगों के लिए प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को कीटनाशकों का कम उपयोग करना पड़ेगा और उत्पादन लागत में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि इसकी अधिक उत्पादकता से किसानों की आय में 20-25% तक की वृद्धि हो सकती है.
डॉ कुमार के अनुसार, यह किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक समय तक फल देती है. जिससे किसानों को लंबे समय तक आय प्राप्त होती रहेगी. इस तकनीकी हस्तांतरण से सब्जी उत्पादक किसानों को सीधे तौर पर फायदा होगा क्योंकि अब उन्नत किस्म के बीज आसानी से उपलब्ध होंगे और किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ भिंडी की गुणवत्तापूर्ण पैदावार में भी सुधार आएगा.
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