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किसानों के लिए वरदान बन रही मिर्च की ये वेरायटी, खाड़ी देशों तक बढ़ी इसकी मांग

किसानों के लिए वरदान बन रही मिर्च की ये वेरायटी, खाड़ी देशों तक बढ़ी इसकी मांग

काशी आभा मिर्च की एक ऐसी किस्म है जिसका प्रति हेक्टेयर 140 क्विंटल तक उत्पादन मिल रहा है. किसानों को इस मिर्च की नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेयर 450 ग्राम बीज की जरूरत होती है. 35 से 40 दिन के बाद ही इस मिर्च की पहली तोड़ाई की जा सकती है. खेत की तैयारी के दौरान 20 से 25 टन गोबर की खाद की जरूरत होती है.

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काशी आभा मिर्च की नई किस्म काशी आभा मिर्च की नई किस्म

मिर्च के बिना अच्छे से अच्छे भोजन का स्वाद भी अधूरा लगता है. मिर्च ना हो तो खाने का मजा फीका हो जाता है. राजस्थान में तीखी मिर्ची की खूब पैदावार होती है. हालांकि पूरे भारत में भूत झोलकिया सबसे तीखी मिर्च मानी जाती है. यह विश्व की दूसरी तीखी मिर्च है. वही उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इन दिनों मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. किसानों की आय बढ़ाने में मिर्च का काफी बड़ा योगदान है. यहां तक कि अब पूर्वांचल की मिर्च खाड़ी देशों तक भी निर्यात की जा रही है. 

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी ने मिर्च की कई किस्में विकसित की हैं. इन्हीं किस्मों में से काशी आभा एक खास किस्म है. इस मिर्च में तीखापन खूब होता है. वहीं इसका उत्पादन भी काफी अच्छा होता है. मिर्च के तीखेपन के कारण ही खाड़ी देशों में काशी आभा की मांग इन दिनों बढ़ गई है जिसके चलते किसानों की आय में तेजी से इजाफा हुआ है.

आय बढ़ाने में मददगार है यह किस्म

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार के द्वारा मिर्च पर कई शोध वर्षों से जारी हैं. उनके द्वारा अब तक मिर्च की आधा दर्जन से ज्यादा किस्मों को विकसित किया जा चुका है. उन्होंने किसान तक को बताया कि काशी आभार मिर्च की एक ऐसी किस्म है जिसमें तीखापन ज्यादा है. वही किसान को इस मिर्च की खेती करने से अच्छा मुनाफा हो रहा है.

डॉ कुमार बताते हैं, खाड़ी देशों में भी इस मिर्च की खूब मांग है. इसी वजह से पूर्वांचल के किसान काशी आभा की खेती खूब कर रहे हैं. यह किस्म जल्दी तैयार होने वाली है. इसके साथ ही इसमें एंथ्रोक्नोज होता है. फल सड़न रोग, थ्रिप्स जैसे रोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी इसमें है. उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए खास तौर पर इस किस्म को विकसित किया गया है. 

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लागत कम, उत्पादन ज्यादा

काशी आभा मिर्च की एक ऐसी किस्म है जिसका प्रति हेक्टेयर 140 क्विंटल तक उत्पादन मिल रहा है. किसानों को इस मिर्च की नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेयर 450 ग्राम बीज की जरूरत होती है. 35 से 40 दिन के बाद ही इस मिर्च की पहली तोड़ाई की जा सकती है. खेत की तैयारी के दौरान 20 से 25 टन गोबर की खाद की जरूरत होती है. वही इस मिर्च की खेती में एनपीके 120:80:80 किलो प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. इस मिर्च का बीज भी भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के पास उपलब्ध है.