उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसान अपनी फसलों को छुट्टा पशुओं से बचाने के लिए सिक्योरिटी गार्ड रख रहे हैं. ये सिक्योरिटी गार्ड गुलेल से लैस रहते हैं जो छुट्टा पशुओं को भगाने के काम आता है. इस इलाके में आवारा पशुओं के अलावा फसलों को बंदर बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं.
फसलों को छुट्टा पशुओं और बंदरों से बचाने के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी से सटे मैलानी कस्बे में किसान सिक्योरिटी गार्ड को रख रहे हैं. मैलानी कस्बे में जंगल किनारे खेतों में लगी गेहूं, गन्ने और सरसों की फसल को बचाने के लिए यह कवायद चल रही है.
दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलकर आने वाले बंदरों और आवारा पशुओं से फसल को बचाने के लिए इलाके के किसान सिक्योरिटी गार्ड की मदद ले रहे हैं. हाथों में गुलेल लेकर सिक्योरिटी गार्ड खेतों में आने वाले बंदरों और आवारा पशुओं को भगाने के काम में लगे हुए हैं.
सिक्योरिटी गार्ड इसलिए रखे जा रहे हैं ताकि उनकी फसल बर्बाद होने से बच सके. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आवारा पशुओं का आतंक देखा जा रहा है. पशु खेतों को चर जाते हैं जिससे फसलें चौपट हो रही हैं. इससे बचने के लिए किसान रात-दिन अपनी फसलों की रखवाली कर रहे हैं.
लखीमपुर में खेतों की सुरक्षा में लगे सिक्योरिटी गार्ड बताते हैं कि उन्हें प्रतिदिन 100 रुपये से लेकर 150 रुपये तक की दिहाड़ी मिलती है. हालांकि दबे स्वर में गार्ड ये बता देते हैं कि उनकी दिहाड़ी काम और समय के हिसाब से कम है. गार्ड को हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है कि कोई पशु या बंदर फसलों पर हमला न बोल दे.
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आवारा पशुओं की खबरें आ रही हैं. ये पशु खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. किसानों की शिकायत है कि प्रशासन इसके लिए कुछ नही कर रहा और उन्हें छुट्टा पशुओं से निजात नहीं मिल रही. हालांकि सरकार का कहना है कि गौशालाएं बनाई गई हैं ताकि गोवंशों को उसमें बांधा जा सके. फसलों की रखवाली में सिक्योरिटी गार्ड रखे जाने की खबर लखीमपुर के मैलानी की है.(अभिषेक वर्मा की रिपोर्ट)
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