
Red Amla Cultivation: आधुनिकता के दौर में भी युवा नौकरी को छोड़कर कृषि स्टार्ट अप में रुचि दिखा रहे हैं. ये युवा गांव में नये आइडिया और तकनीक के साथ खेती कर रहे हैं और गांव के दूसरे लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं. इससे आमदनी तो अच्छी होती है, साथ ही शहर की भागदौड़ से दूर यहां सुकून भी मिलता है. आज हम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक युवा किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो आम के साथ पहली बार लाल आंवले की खेती कर रहे है. मलिहाबाद के किसान अफताब ने किसान तक से बातचीत में बताया कि बीते 7 वर्षों से आम की कई वैरायटी की बागवानी करते आ रहे है. इस बार कुछ नया करने का विचार मेरे मन में आया. उन्होंने बताया कि पहली बार उन्होंने पश्चिम बंगाल से लाल आंवले के पौधे यहां मंगाए हैं. 100 से ज्यादा पौधे इनके पास आ चुके हैं. सभी को लगाने का काम चल रहा है. पश्चिम बंगाल में इन पौधों को विदेशों से मंगाया जाता है.
एक पौधे की कीमत 35 रुपये के करीब है. अफताब बताते हैं कि आम के खेत के चारों तरफ हमने लाल आंवले के पौधों को लगा दिया है. इन पौधों की खासियत यह होती है कि इन्हें पानी की जरूरत बिल्कुल भी नहीं होती है और सर्दियों में इसके ऊपर फल भी आ जाएगा. यानी लाल आंवले से यह पौधे भर जाएंगे. यही नहीं लाल आंवला सेहत का भंडार होने की वजह से इनकी मुंह मांगी कीमत भी बाजार में मिलेगी. जिससे लाल आंवले के जरिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे.
किसान अफताब ने बताया कि हरे आंवले के मुकाबले लाल आंवले की डिमांड बजार में ज्यादा होता है. हरे आंवले के पौधे की जब रोपाई होती है, तो उसपर चार से पांच साल बाद फल आना शुरू होते हैं और बाजार में हरा आंवला 15 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. जबकि लाल आंवला के पौधे की रोपाई के बाद से ही इस पर फल आने लग जाते हैं और इसका फल बाजार में 100 से 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक्री होता है.
लाल आंवले से ज्यादा फायदा होगा. इसलिए अब लाल आंवले की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. इसलिए दूसरे किसान इनके पास पौधे लेने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1000 लाल आंवले के पौधों की डिमांड वाराणसी भेजा है.जल्द ही पौधे लखनऊ आ जाएंगे. अब पश्चिम बंगाल जाने की जरुरत नहीं है.
लखनऊ के मलिहाबाद के रहने वाले किसान अफताब ने बताया कि यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, कनाडा और थाईलैंड जैसे देशों में लाल आंवले की खेती बड़े पैमाने में होती है. वहां के लोग लाल आंवला ज्यादा पसंद करते हैं. यही वजह है कि अब धीमे-धीमे करके भारत के किसान भी हरे आंवले से ज्यादा लाल आंवले की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं.
बता दें कि लाल आंवला विटामिन सी प्रदान करने वाला सबसे बड़ा पोषक तत्व है. इसका हर रोज़ प्रयोग करने से सर्दी खांसी, वायरल बुखार, मधुमेह, त्वचा से जुड़े रोग, एसिडिटी, पथरी, सफेद बालों से निजात मिलती है. याददाश्त को मजबूत और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी इस आंवले का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं लाल आंवला खाने से शरीर में फुर्ती बनी रहती है.
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