
भारतीय खेती अब तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है. परंपरागत फसलों से हटकर किसान अब ऐसी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं, जिनसे कम जमीन में ज्यादा मुनाफा मिल सके. इसी बदलाव का बड़ा उदाहरण है एग्जॉटिक फलों की खेती. शहरों में बढ़ती मांग, अच्छे दाम और निर्यात की संभावनाओं ने एग्जॉटिक फलों को किसानों के लिए फायदे का सौदा बना दिया है. एग्जॉटिक फलों की खेती भारतीय किसानों के लिए नए अवसर लेकर आई है. बदलती मांग, सरकारी समर्थन और आधुनिक तकनीक के चलते यह खेती आने वाले वर्षों में और तेजी से बढ़ सकती है.
एग्जॉटिक फल वे फल होते हैं, जो पारंपरिक रूप से भारत में नहीं उगाए जाते थे या जिनकी खेती बहुत सीमित थी. इनमें विदेशी किस्में शामिल होती हैं, जिनकी मांग पहले केवल आयात के जरिए पूरी होती थी. अब आधुनिक तकनीक, पॉलीहाउस और ड्रिप सिंचाई के जरिए इन फलों की खेती देश के कई राज्यों में होने लगी है. एग्जॉटिक फलों की खेती बढ़ने के पीछे कई अहम वजहें हैं. पहली वजह है शहरी उपभोक्ताओं की बदलती खानपान आदतें.
मेट्रो सिटीज में लोग सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं और विदेशी फलों को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं. दूसरी वजह है बेहतर कीमत. इन फलों का बाजार भाव पारंपरिक फलों की तुलना में काफी ज्यादा होता है. इसके अलावा, सरकार भी बागवानी और उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा दे रही है. कई राज्यों में पॉलीहाउस, शेडनेट और ड्रिप सिस्टम पर सब्सिडी दी जा रही है. इससे किसानों को नई खेती अपनाने में मदद मिल रही है.
ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट एग्जॉटिक फलों में सबसे तेजी से लोकप्रिय हुआ है. इसकी खेती गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही है. कम पानी और ज्यादा मुनाफे के कारण किसान इसे तेजी से अपना रहे हैं.
एवोकाडो
एवोकाडो को सुपरफूड माना जाता है. इसकी मांग बड़े शहरों और होटल इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ रही है. कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और सिक्किम में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा रही है.
ब्लूबेरी और रैस्पबेरी
ये फल अभी सीमित क्षेत्र में उगाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी कीमत काफी ज्यादा है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों में इनकी खेती की जा रही है.
कीवी
कीवी अब पूरी तरह एग्जॉटिक नहीं रहा, लेकिन इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कीवी की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
ड्यूरियन और फिग्स
कुछ प्रगतिशील किसान ड्यूरियन और विदेशी अंजीर जैसी फसलों के साथ भी प्रयोग कर रहे हैं. खासतौर पर दक्षिण भारत में इन फलों की ट्रायल खेती शुरू हो चुकी है.
एग्जॉटिक फलों की खेती में शुरुआती लागत जरूर ज्यादा होती है, लेकिन एक बार पौधे तैयार हो जाने के बाद मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. उदाहरण के तौर पर, ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो से किसान प्रति एकड़ लाखों रुपये तक कमा रहे हैं. सीधे होटल, रिटेल चेन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ने पर किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं. हालांकि एग्जॉटिक फलों की खेती में कुछ चुनौतियां भी हैं. सही पौध सामग्री, तकनीकी जानकारी और बाजार से सीधा जुड़ाव जरूरी होता है. अगर सही प्लानिंग न हो, तो नुकसान की आशंका भी रहती है. इसलिए विशेषज्ञों की सलाह और ट्रेनिंग के बाद ही इस खेती में उतरना फायदेमंद होता है.
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