भारत में गेहूं खरीद का सीजन मंगलवार से शुरू हो गया है और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने पिछले साल के मुकाबले इस साल की खरीद में 6 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज की है. राजस्थान में 10 मार्च से शुरू हुई शुरुआती खरीद ने इस सीजन को खास बना दिया है. जानकारों का मानना है कि अगर यही सिलसिला जारी रहा तो केंद्र सरकार अगले दो महीनों में 313 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल कर सकती है.
इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल से पहले शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक 31 मार्च तक कुल गेहूं खरीद करीब 8.5 लाख टन हो चुकी है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा सिर्फ 2.5 लाख टन था. यह बढ़ोतरी केंद्र सरकार की बंपर पैदावार की उम्मीद और खरीद जल्दी शुरू होने की वजह से संभव हो पाई है.
मध्य प्रदेश में जहां राज्य सरकार ने 2,425 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है, वहीं 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जा रहा है. 15 मार्च से शुरू हुई गेहूं खरीद में मध्य प्रदेश ने 8 लाख टन गेहूं खरीदा, जबकि पिछले साल 2.5 लाख टन से भी कम खरीदा गया था.
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राजस्थान में भी गेहूं खरीद में तेजी देखी गई है. यहां सरकार ने हाल ही में गेहूं की क्वालिटी के मानदंडों में ढील दी, जिससे खरीद प्रक्रिया आसान हो गई. राजस्थान में अब तक 40,000 टन गेहूं खरीदा जा चुका है. उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी खरीद का रुझान सकारात्मक रहा है और इन राज्यों ने 1 अप्रैल तक 100 टन से अधिक गेहूं खरीदा है.
खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, अब तक करीब 23 लाख टन गेहूं खरीद केंद्रों पर पहुंच चुका है, जबकि मंडियों में कुल आवक 23.71 लाख टन हो चुकी है. हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि पूरी फसल ताजा ही हो. इस बार मध्य प्रदेश और राजस्थान पर खास ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि बोनस के चलते यहां खरीद का लक्ष्य क्रमश: 60 लाख और 20 लाख टन तय किया गया है.
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इस साल गेहूं की क्वालिटी के मानदंडों में भी बदलाव किया गया है. 20 मार्च को केंद्र सरकार ने राजस्थान में गेहूं की क्वालिटी के मानदंडों में ढील दी थी, ताकि किसानों को परेशानी न हो. गर्मी और बारिश के असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस कदम को मंजूरी दी थी, जिसके तहत 6 फीसदी की जगह 20 फीसदी तक सिकुड़ा हुआ और टूटा हुआ गेहूं स्वीकार किया जाएगा. इसके अलावा 10 फीसदी तक चमकहीन गेहूं स्वीकार करने का फैसला किया गया है.
कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) के दौरान गेहूं का उत्पादन 115 मिलियन टन से अधिक हो सकता है, जिससे देश में खाद्यान्न की स्थिति और मजबूत होगी.
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