हल्दी के कम उत्पादन ने इसकी कीमतों में आग लगा दी है. हल्दी की वायदा कीमतें कुछ सेशन पहले सीधे 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गईं, जो 16 हजार रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर थीं. हल्दी की अधिक मांग ने कीमतों को उछाल दिया है. कीमतों में यह बढ़ोत्तरी आगे भी जारी रह सकती है क्योंकि इस सीजन में भी हल्दी उत्पादन का अनुमान पिछले साल से कम रहने का है.
कमोडिटी एक्सपर्ट और ट्रेडर्स ने कहा कि एग्री मार्केट में हल्दी वायदा कीमत फिर से बढ़ने लगी है, क्योंकि इस साल कम उत्पादन के कारण मांग आपूर्ति से अधिक हो गई है. कुछ सत्र पहले हल्दी वायदा 20,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया, जो अभी भी 18,500 रुपये और 19,500 रुपये के बीच आ गया है. इससे पहले यह कीमत 16,000 रुपये थी.
कारोबार से जुडे ट्रेडर्स ने कहा कि हल्दी की कीमत अभी 1,000 रुपये ऊपर-नीचे होने की संभावना बनी हुई है. मांग आपूर्ति से अधिक होने के चलते कम समय में 16,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की तेज बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि, लोग 20,000 रुपये पर सतर्क हो गए. इस बार फसल कम होने के कारण कीमतें अस्थिर हो गई हैं और सवाल यह है कि मई में आपूर्ति कैसे होगी.
मंगलवार को एनसीडीईएक्स पर जून कॉन्ट्रैक्ट के लिए हल्दी (किसान पॉलिश) 18,982 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुई, जबकि अगस्त वायदा 19,636 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. निजामाबाद में हल्दी (किसान पॉलिश) की कीमत 17,593.65 रुपये थी, जबकि बेहतर राजापुर किस्म की कीमत सांगली में 18,994.90 रुपये प्रति क्विंटल थी.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी पहले उत्पादन अनुमान के अनुसार इस फसल वर्ष में हल्दी का उत्पादन जून तक 10.74 लाख टन होने की संभावना है, जबकि पिछले फसल वर्ष में यह 11.70 लाख टन था. एक्सपर्ट ने कहा है कि फसल पिछले साल की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम है. हालांकि, इस साल आपूर्ति कम रही है और अगले 15-20 दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. उत्पादन कम होने से कीमतों में उछाल चुनौती बनेगा.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल ला नीना के फिर से उभरने की भविष्यवाणी के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होने वाली बारिश अगले साल की फसल और कीमतों में उतार-चढ़ाव लाएगी. अगर मानसून समय पर आता है तो हल्दी की कीमतें 17,000-18,000 रुपये प्रति क्विंटल के लेवल पर गिरकर नीचे आ सकती है. क्योंकि अच्छी बारिश से हल्दी का रकबा बढ़ेगा.
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