पंजाब-हरियाणा की तरह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी किसान धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं. इसके लिए वे डीएसआर और ड्रम सीडिंग तकनीक को अपना रहे हैं. किसानों को उम्मीद है कि इससे गिरते भूजल स्तर में कुछ हद तक सुधार हो सकता है. साथ ही पानी की बर्बादी भी कम होगी. वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के एस मल्ला रेड्डी का कहना है कि इस साल दोनों राज्यों में धान की सीधी बुवाई का हिस्सा कुल खरीफ रकबे 60 लाख एकड़ का 20 प्रतिशत तक हो सकता है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, धान की सीधी बुवाई करने पर न सिर्फ पानी की बचत होती है, बल्कि खेती में मजदूरों पर निर्भरता भी कम हो जाती है. ऐसे भी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में खेत में काम करने वाले श्रमिकों की देहाड़ी में बहुत अधिक बढ़ोतरी हो गई है. ऐसे में धान की सीधी बुवाई करने पर इनपुट लागत में भी कमी आएगी. साथ ही मजदूरों की कमी से भी किसानों को नहीं जूझना पड़ेगा. वहीं, तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) के एक कृषि वैज्ञानिक प्रो. जयशंकर का कहना है कि हमें उम्मीद है कि नए तरीकों के तहत 6-10 लाख एकड़ में धान की बुवाई होगी. हमने पिछले खरीफ सीजन में कुछ प्रयोग किए थे. उन्होंने बताया कि इसमें कुछ सकारात्मक परिणाम मिले हैं, जिससे अधिक संख्या में किसान अब धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि ड्रम सीडिंग विधि में ड्रम का उपयोग करके पहले से अंकुरित धान के बीज बोया जाता है. ये ड्रम फाइबर से बने होते हैं. इनकी मदद से खेतों में 20 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में समान रूप से बीज डाले जाते हैं. उन्होंने कहा कि आप अंकुरित बीजों को बोने के लिए ड्रोन का भी उपयोग कर सकते हैं. क्योंकि ड्रोन के इस्तेमाल से भी अच्छे परिणाम मिले हैं. खास बात यह है कि आप कुछ ही घंटों में एक एकड़ रकबे में बुवाई कर सकते हैं.
प्रो. जयशंकर ने कहा कि ऐसे किसान धान की रोपाई करने से पहले 3-4 सप्ताह तक नर्सरी में पौधों को तैयार करते हैं. लेकिन ड्रम सीडिंग तकनीक में धान के बीजों को पानी में भिगोया जाता है. जब बीज अंकुरित हो जाते हैं, तो उसकी बुवाई की जाती है. उनकी माने तो बीज अंकुरित हो जाने के बाद बुवाई करने में बिल्कुल देरी नहीं करनी चाहिए. इससे पौधों को नुकसान भी पहुंच सकता है. हालांकि, उनका कहना है कि किसानों को अंकुरित बीज को 30 मिनट तक हवा में सुखाना चाहिए, ताकि इसे फैलाना आसान हो जाए.
उन्होंने कहा कि हालांकि, पारंपरिक तरीके से बीज बोने के लिए खेत में पानी भरना पड़ता है. फिर जुताई कर तैयार कीचड़ में धान की रोपाई की जाती है. लेकिन ड्रम सीडिंग विधि में किसानों को खेत से अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना पड़ता है. इस विधि में सतह को नम रखना ही ठीक रहेगा. उन्होंने कहा कि ड्रम सीडिंग विधि का एक बड़ा नुकसान यह है कि बुवाई के तुरंत बाद भारी बारिश अंकुरित बीजों को बहा सकती है.
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