भारत के लिए इसे अच्छी खबर नहीं कह सकते हैं. खासकर चाय उगाने वाले राज्यों और इसका निर्यात करने वाले व्यापारियों के लिए. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत की चाय के कद्रदानों में शामिल ईरान आयात से मुंह मोड़ रहा है. इससे भारत के निर्यातकों में निराशा तो है ही, आसाम जैसे राज्यों में चाय उगाने वाले बागान मालिक भी परेशान हैं. ईरान केवल चाय ही नहीं बल्कि बासमती चावल खरीदने से भी पीछे हट रहा है.
सबसे पहले जानते हैं कि ईरान में चाय के निर्यात को धक्का क्यों लगा है. एक बात तो साफ है कि यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि यह मसला दो साल पुराना है. ईरान जैसा विदेशी मुल्क अगर भारतीय चाय से पीछे हट रहा है तो इसके पीछे कई वजहें हैं. पूर्व में पेमेंट का मुद्दा, निर्यात के लिए कंटेनर की कमी और कोरोना महामारी जैसे मुद्दे चाय निर्यात को ठप करते रहे. ईरान के साथ पेमेंट इश्यू ये रहा कि रुपया और रियाल में गठजोड़ नहीं हो पा रहा था. यह स्थिति इसलिए खड़ी हुई है क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर कई प्रकार के प्रतिबंध चस्पा किए हैं. कोरोना जाने के बाद स्थिति सुधरती हुई दिखी, लेकिन फिर इसमें कमी आ रही है.
अब जब कंटेनर की उपलब्धता सामान्य हो गई है और कोरोना भी जाता रहा है, तो ईरान ने आयात से मन खींच लिया है. मामला खाली चाय के निर्यात का नहीं बल्कि ईरान ने बासमती चावल मंगाना भी कम कर दिया है. भारत के एक्सपोर्टर्स को नए ठेके नहीं मिल रहे, जिससे उनमें निराशा है. इस साल जनवरी-सितंबर के बीच भारत से ईरान को 515 करोड़ रुपये का चाय निर्यात हुआ है, जो एक साल पहले की तुलना में 7.3 फीसद अधिक था. लेकिन, सितंबर के बाद इसमें ठहराव देखा जा रहा है.
आखिर वजह क्या है जो ईरान के आयातक भारत से चाय नहीं मंगा रहे हैं? इसके बारे में कहा जा रहा है कि भारत से आयात के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जटिल हुई है, जिससे आयातकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. ईरान में बैठे किसी आयातक को भारत से माल मंगाने से पहले प्रोफार्मा का रजिस्ट्रेशन कराना होता है. ईरान के आयातकों की शिकायत है कि उन्हें नए कांट्रेक्ट बनवाने में दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि आयात रुकने की असली वजह क्या है, इसके बारे में कोई भी निर्यातक खुल के कुछ नहीं बता पा रहा.
इंडियन टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से कहते हैं, नए कांट्रेक्ट के रजिस्ट्रेशन की कई शिकायतें मिली हैं, लेकिन, हमें असली वजह की जानकारी नहीं मिल पा रही. हमने सरकार से दरख्वास्त की है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाए और गड़बड़ी को दुरुस्त किया जाए.
ईरान में चाय का आयात रुकने की कुछ और भी वजहें हैं. इसमें एक है वहां चलने वाला हिजाब विरोधी प्रदर्शन. इस प्रदर्शन को भारत में समर्थन मिला है जिससे ईरान में नाराजगी है. इसके अलावा भारत के एक धड़े ने ईरान से कीवी और सेब मंगाना बंद कर दिया है. जिसके बदले में ईरान ने भी चाय के आयात पर रोक लगाई है. इसमें बासमती चावल भी शामिल है. हालांकि इन वजहों को गैर-आधिकारिक बताया जा रहा है. सरकारी अधिकारी इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे.
एक ट्रेड एक्सपर्ट का कहना है कि ईरान से भारत जैसे ही कीवी और सेब का आयात शुरू करेगा, ईरान भी भारत से चाय और बासमती लेना शुरू कर देगा. ईरान और भी कई देशों से चाय मंगाता है, जिनमें केन्या, इंडोनेशिया, चीन और श्रीलंका शामिल हैं. हालांकि आसाम चाय के खरीदारों में ईरान का नाम सबसे अहम है. पिछले साल की तुलना में इस वर्ष आसाम चाय का निर्यात तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन अचानक कुछ महीने में ठहराव आया है. अगर स्थिति नहीं सुधरी तो सबसे बड़ी मार आसाम के चाय बागानों पर पड़ेगी.
साल 2020 और 2021 में, ईरान ने भारत से क्रमशः लगभग 2600 किलोग्राम और 3500 किलोग्राम चाय का आयात किया. ईरान रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है. भारतीय चाय के अन्य प्रमुख आयातक संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today