तमिलनाडु सरकार ने राशन दुकानों के माध्यम से मसूर दाल का वितरण नहीं करने का फैसला किया है. वह राशन दुकानों के पर केवल अरहर या अरहर दाल का ही वितरण करेगी. क्योंकि तमिलनाडु सरकार ने सरकारी राशन दुकानों पर दलहन में मसूर दाल को शामिल करने की याचिका खारिज कर दी है. उसने केवल अरहर दाल की खरीद और वितरण करने का निर्णय लिया है. खास बात यह है कि इसकी जानकारी सरकार ने खुद एक पत्र के माध्यम से दी है.
द बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, श्री साईराम इम्पेक्स ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. याचिका के माध्यम से उसने सरकार से राशन दुकानों के माध्यम से मसूर दाल की बिक्री करने की भी मांग उठाई थी. इसके बाद कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव के गोपाल को राज्य सरकार के अपने फैसले पर समीक्षा करने का आदेश दिया. लेकिन सरकार ने मसूर दाल नहीं बेचना का फैसला किया.
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दरअसल, श्री साईराम इम्पेक्स एक दाल आयातक हैं. सराकरी अधिकारी ने आयातकों की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से रियायती दर पर अरहर दाल की आपूर्ति तमिलनाडु के लोगों के उपयोग पैटर्न पर आधारित नीति थी. वहीं, मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी याचिका में, आयातक ने कहा कि निविदा में लाल मसूर को बाहर न करना सार्वजनिक खजाने के लिए हानिकारक है और आग्रह किया कि दाल को अन्य किस्मों के साथ बाद की निविदाओं में शामिल किया जाए.
याचिकाकर्ता ने सभी राज्यों को केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के एक पत्र की ओर भी इशारा किया, जिसमें उनसे अधिक महंगी "लेकिन अधिक आवश्यक रूप से अधिक पौष्टिक" दालों के स्थान पर कल्याणकारी योजनाओं में सब्सिडी वाली चना दाल (चना) या लाल मसूर के उपयोग को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया गया था. घरेलू उत्पादन में कमी के कारण अरहर पर बढ़ते दबाव के बाद केंद्र ने यह निर्देश जारी किया और राज्यों से मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए व्यापारियों, आयातकों, थोक विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों द्वारा स्टॉक प्रकटीकरण को लागू करने और निगरानी करने का आग्रह किया.
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जानकारी के लिए बता दें कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 11 नवंबर, 2023 को लिखे पत्र में सुझाव दिया कि तमिलनाडु सरकार राशन की दुकानों और अन्य कल्याण योजना के लाभार्थियों के माध्यम से तुअर दाल के वितरण को मसूर दाल से बदलने पर विचार कर सकती है. ऐसा इसलिए था, क्योंकि लाल मसूर आसानी से तुअर दाल का स्थान ले सकती थी और यह "बहुत अधिक उचित दर" पर उपलब्ध थी. उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इससे राज्य सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा और देश में अरहर दाल की कुल खपत मांग और इसकी कीमतों में भी कमी आएगी.
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