हरियाणा में मौजूदा धान कटाई के मौसम में अब तक पराली जलाने के 714 मामले सामने आए हैं. यह रविवार तक का आंकड़ा है. लेकिन सरकार ने दावा किया कि पिछले साल की तुलना में इस साल ऐसी घटनाओं की संख्या कम है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य सरकार पराली प्रबंधन के लिए सक्रिय रूप से ठोस कदम उठा रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. पराली मैनेजमेंट के लिए न सिर्फ जागरूकता अभियान चला रही है बल्कि इसका निस्तारण करने वाले किसानों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ की राशि के साथ प्रोत्साहित भी कर रही है.
पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं. लेकिन हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है. अब तक, पराली जलाने के केवल 714 मामले सामने आए हैं, जबकि 2022 में इसी अवधि के दौरान 893 मामले सामने आए थे. साल 2021 में, यह संख्या काफी अधिक 1,508 थी.
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हरियाणा में पिछले एक महीने से अधिक समय से धान की कटाई चल रही है. एक बयान में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने पराली जलाने के मुद्दे को गंभीरता से लिया है और किसानों के साथ मिलकर ऐसी घटनाओं को कम करने में काफी प्रगति की है. सरकार पराली जलाने को हतोत्साहित करने के लिए सक्रिय रूप से जागरूकता अभियान चला रही है. उचित पराली प्रबंधन करने और इसे जलाने से परहेज करने के लिए किसानों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ की राशि भी दे रही है. यही नहीं, कृषि और किसान कल्याण विभाग प्रभावी पराली मैनेजमेंट की सुविधा के लिए किसानों को सब्सिडी पर मशीनें भी उपलब्ध करवा रही है.
बयान में कहा गया है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार गिरावट सरकार के प्रयासों की सफलता है. सरकार पूरी लगन से पराली जलाने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रही है. किसानों को इस प्रथा में शामिल होने से रोकने के लिए कड़े कदम भी उठाए गए हैं. इसमें कहा गया है कि पराली जलाने की निगरानी और रोकथाम के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के साथ-साथ पराली जलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है. अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने को एक बड़ा कारण माना जाता है.
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