कपास सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है. यह मुख्य फाइबर फसल है, जो कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल प्रदान करती है. भारत सबसे बड़ा कपास उत्पादक है. केवल सात देश ही कुल विश्व कपास उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत योगदान करते हैं. हालांकि उत्पादकता के मामले में हम पीछे हैं. कृषि वैज्ञानिक डीएस थोराट, एपी पंडीरवार और मन मोहन देव के अनुसार कपास की खेती में उर्वरकों की अहम भूमिका है. अधिक उत्पादन के लिए इनका सही मात्रा में उपयोग ज़रूरी है. हाथ से उर्वरक का छिड़काव करने पर ये सभी पौधों में सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते. इसलिए स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर बनाया गया है.
वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में कपास की उत्पादकता कम होने की कई वजहें हैं. सही मिट्टी न होना, सिंचाई की उचित व्यवस्था न होना और उर्वरकों का सही वितरण नहीं होना. अगर इस 'सफेद सोना' की खेती में इन समस्याओं का समाधान हो जाए तो हमारा उत्पादन और बढ़ सकता है. स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर उर्वरक के सही इस्तेमाल का काम पूरा करता है. इस उपकरण के इस्तेमाल से उर्वरक समान रूप से सभी पौधों में डाला जाता है. उर्वरक की बर्बादी भी नहीं होती, जिससे खेती की लागत में कमी आती है.
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यह मशीन कपास की फसल में उर्वरक प्रयोग को आसान, त्वरित, किफायती और अधिक कुशल बनाती है. यह पौधों की पंक्ति के बीच खाली जगहों को छोड़कर प्रत्येक पौधे की जड़ क्षेत्र के पास समुचित मात्रा में उर्वरक को सही तरीके से डालती है. मशीन को किसी भी कॉम्पैक्ट पॉवर टिलर के साथ जोड़ा जा सकता है, जो टॉप ड्रेसिंग कार्य के दौरान फसल की पंक्तियों के बीच चलने में समर्थ हो.
कपास, अरहर, मक्का, गन्ना आदि जैसी ज्यादा पंक्ति की दूरी वाली फसलों में दानेदार उर्वरक (यूरिया, डीएपी आदि) के समुचित उर्वरक प्रयोग (टॉप ड्रेसिंग) के लिए स्पॉट फर्टिलाइजर एप्लीकेटर कम लागत वाला, मजबूत और सटीक उपकरण है. इस मशीन को कपास की खेती में लगे छोटे और सीमांत किसानों द्वारा आसानी से संचालित किया जा सकता है. विकसित मशीन पौधों के स्थान का पता लगा सकती है और उर्वरक की समुचित मात्रा पंक्ति के बीच में खाली जगहों को छोड़ कर डाल सकती है. इससे उर्वरकों का उपयोग कम हो जाता है. इस मशीन में महंगे उर्वरक की लागत को कम करने और सभी पौधों में उर्वरक प्रयोग की एकरूपता बनाए रखने की क्षमता है.
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