सोयाबीन के उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. व्यापार संगठन के अनुसार देश में अब तक सोयाबीन का कुल उत्पादन 126 लाख टन के पार पहुंच गया है. इसमें अभी और बढ़ोत्तरी की संभावना जताई गई है, क्योंकि कुछ इलाकों में अभी भी कटाई चल रही है या फसल खेत-खलिहान में है और खरीद प्रक्रिया भी जारी है. उत्पादन में बढ़ोत्तरी की वजह रकबा में 2 लाख हेक्टेयर के उछाल को माना जा रहा है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत प्रमुख उत्पादक राज्यों में बंपर उपज देखी गई है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 23 सितंबर तक के आंकड़ों के अनुसार इस बार खरीफ सीजन में किसानों ने सोयबीन की जमकर खेती की है. सोयाबीन का बुवाई रकबा पिछले साल की तुलना में करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की बढ़ोत्तरी के साथ 125.11 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. जबकि, बीते साल समान अवधि में सोयाबीन फसल का बुवाई क्षेत्र 123.85 लाख हेक्टेयर था.
अनुकूल मौसम की स्थितियों के चलते चालू खरीफ सीजन में देश में सोयाबीन का उत्पादन करीब 6 फीसदी बढ़कर करीब 126 लाख टन हो गया है. पीटीआई के अनुसार सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा कि पिछले खरीफ सीजन के दौरान देश में प्रति हेक्टेयर सोयाबीन की औसत पैदावार 1,002 किलोग्राम थी, जबकि इस बार यह बढ़कर 1,063 किलोग्राम हो गई है.
डीएन पाठक ने कहा कि इस बार देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में मानसून की बारिश अच्छी रही है. इससे फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है. खेती के उन्नत तरीकों को अपनाने से फसल के उत्पादन में भी उछाल आया है. उन्होंने कहा कि 2023 के खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई के बाद अगस्त में प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में 3 सप्ताह तक बारिश नहीं होने से खेतों में नमी की भारी कमी हो गई थी, जिससे फसल उत्पादकता में गिरावट देखी गई थी.
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अनुसार देश में सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश में इस बार करीब 52 लाख हेक्टेयर में फसल की बुवाई हुई है और इसका उत्पादन 55.40 लाख टन के स्तर पर रहा. जबकि, चालू खरीफ सीजन में महाराष्ट्र में 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 50.17 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि राजस्थान में 11.13 लाख हेक्टेयर में फसल बोई गई और इसकी उपज करीब 10.53 लाख टन रही है.
भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का करीब 60 फीसदी आयात करता है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में सोयाबीन जैसी प्रमुख तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है. केंद्र सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले सीजन के 4,600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4,892 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इससे किसान सोयाबीन की खेती करने के लिए आकर्षित हुए हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today