
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसके लिए देश स्तर पर पंचायतों में नुक्कड़ नाटक और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. केंद्र की ओर से रबी फसलों का बीमा कराने के लिए कुछ राज्यों में कट ऑफ डेट भी जारी कर दी गई है. इसके साथ ही खरीफ फसलों की तुलना में रबी फसलों के लिए प्रीमियम पेमेंट में भी कमी की गई है. गेहूं, जौ, चना समेत दूसरी फसलों के लिए किसान कम किस्त देकर बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के जरिए किसानों को प्राकृतिक आपदाओं में फसलों के नुकसान की भरपाई मिलती है. इससे किसान भारी वित्तीय नुकसान से बच जाते हैं. PMFBY की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार योजना में न्यूनतम प्रीमियम दर पर फसल बीमा का लाभ मिलता है, डिजिटल तकनीक के जरिए मुआवजा बेहद आसानी से और जल्दी पीड़ित किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों को रबी सीजन की फसलों की बुवाई के साथ ही फसल बीमा कराने की सलाह दी है. खरीफ फसलों की तुलना में रबी फसलों के लिए न्यूनतम प्रीमियम दर कम की गई है.
पीएम फसल बीमा योजना के अनुसार प्रत्येक राज्य और जिले की फसलों के लिए बीमा कराने के लिए प्रीमियम राशि और नुकसान के एवज में भरपाई रकम अलग-अलग हो सकती है. रबी सीजन में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिलो के लिए गेहूं की फसल के लिए बीमा कराने का उदाहरण लेकर समझते हैं -
PMFBY की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार कुल्लू जिले के किसान 2 हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगाते हैं और उसका बीमा कराते हैं तो उन्हें प्रीमियम के रूप में सम इंश्योर्ड अमाउंट की 1.5 फीसदी राशि यानी 1800 रुपये प्रीमियम यानी बीमा की किस्त चुकानी होगी. जबकि, प्रीमियम दर 20 फीसदी है. इसलिए बाकी प्रीमियम राशि यानी 22000 रुपये केंद्र और राज्य सरकार वहन करेंगी. यह राशि बीमा कंपनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को मिलेगी.
2 हेक्टेयर गेहूं की फसल के लिए कुल बीमा राशि 1,20,000 रुपये होगी. यह राशि फसल नुकसान होने पर किसान को मिलेगी.
बता दें कि बीमा कंपनी की ओर से नुकसान आकलन के बाद की स्थिति के अनुसार इस राशि में बदलाव भी हो सकता है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन 2024 के लिए करीब 9 करोड़ किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन किए. पीएम फसल बीमा योजना की शुरूआत जनवरी 2016 में की गई थी. इन 8 वर्षों के दौरान 70 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदन मिले हैं. इनमें से 19.67 करोड़ से अधिक किसानों को फसल नुकसान की भरपाई की गई है. इसके तहत 1.64 लाख करोड़ से अधिक राशि का बीमा क्लेम भुगतान किया जा चुका है.
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