महाराष्ट्र में सोयाबीन के दाम में गिरावट का दौर अभी भी थमा नहीं है. इस साल सोयाबीन की दुर्गति हो रही है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तक नसीब नहीं हो रहा है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 21 जून को राज्य की 48 मंडियों में सोयाबीन की नीलामी हुई. हालात ये हैं कि इनमें से सिर्फ 2 में ही अधिकतम दाम एमएसपी या उससे थोड़ा अधिक रहा, बाकी सभी में किसानों को सरकारी भाव से कम पर अपनी उपज बेचनी पड़ी. राज्य में सोयाबीन का न्यूनतम दाम घटकर अब सिर्फ 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गया है, जो इसकी एमएसपी से 1800 रुपये कम है. केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 4600 रुपये क्विंटल तय किया हुआ है.
बोर्ड के अनुसार वर्धा जिले की हिंगणघाट मंडी में 1146 क्विंटल की आवक हुई. इस मंडी में राज्य में सोयाबीन का सबसे कम और सबसे ज्यादा दाम रहा. न्यूनतम दाम राज्य में सबसे कम सिर्फ 2800 रुपये क्विंटल रहा तो अधिकतम दाम 4635 रुपये रहा, जो एमएसपी से 35 रुपये क्विंटल ज्यादा है. औसत भाव 3800 रुपये रहा. इसी तरह परभणी जिले की गंगाखेड़ मंडी में सिर्फ 29 क्विंटल सोयाबीन की आवक हुई. यहां न्यूनतम दाम 4500, अधिकतम 4600 और औसत 4500 रुपये क्विंटल रहा. राज्य की सिर्फ इन्हीं दो मंडियों में किसानों को एमएसपी जितना दाम मिला.
महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक है. यहां बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है. लाखों किसानों की आजीविका सोयाबीन की खेती पर निर्भर है, लेकिन इस साल किसानों को एमएसपी जितना भाव भी नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से वो पछता रहे हैं. सोयाबीन प्रमुख तिलहन और दलहन फसल है. इसके बावजूद इसका सही दाम नहीं मिल रहा. वर्ष 2021 में सोयाबीन 10 से 11 हजार रुपये क्विंटल तक के दाम पर बिका था.
किस मंडी में कितना है
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