सोयाबीन के खुदरा और मंडी भाव में बहुत बड़ा अंतर देखा जा रहा है. सरकार ने इस भाव को कम रखने के लिए कुछ उपाय भी किए थे, लेकिन वे विफल साबित हो रहे हैं. दो महीने पहले केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के अलग-अलग वैरिएंट पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई थी और तिलहन की खरीद एमएसपी पर किए जाने का ऐलान किया था. इन कदमों के बावजूद खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन का दाम एमएसपी से नीचे चल रहा है.
यह तब है जब सोयाबीन सहित सभी प्रकार के खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें पिछले दो महीनों में 18-44 परसेंट की सीमा में तेजी से बढ़ी हैं. महाराष्ट्र में जहां आज विधानसभा के लिए मतदान हो रहा है, सोयाबीन की कम कीमतें एक प्रमुख मुद्दा रही हैं.
सूत्रों ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से कहा कि सोयाबीन की औसत मंडी कीमतें वर्तमान में 4500 रुपये से 4700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं, जबकि 2024-25 सीजन (जुलाई-जून) के लिए 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी घोषित की गई है. गिरती कीमत का मुख्य कारण फसल में नमी की अधिक मात्रा है.
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अधिकारियों ने बताया कि खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के पीछे मुख्य कारण घरेलू तिलहन की कीमतों को बढ़ावा देना था, क्योंकि देश अपनी सालाना जरूरतों का लगभग 58 परसेंट आयात करता है. राज्यों को हाल ही में भेजे गए एक पत्र में, कृषि मंत्रालय ने नेफेड और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) जैसी एजेंसियों को निर्धारित 12 परसेंट की बजाय 15 परसेंट नमी पर सोयाबीन खरीदने की अनुमति दी है, बशर्ते राज्य इसका खर्च वहन करें, जिससे किसानों से खरीद बढ़ने की उम्मीद है.
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सरसों तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी और पाम तेलों की खुदरा कीमतें क्रमशः 165 रुपये प्रति लीटर, 154 रुपये प्रति लीटर, 159 रुपये प्रति लीटर और 144 रुपये प्रति लीटर हो गई हैं, जो दो महीने पहले की कीमतों की तुलना में 18 परसेंट, 28, 32 और 44 परसेंट की वृद्धि है.
पिछले दो महीनों में, नेफेड और एनसीसीएफ ने चालू खरीफ सीजन में कृषि मंत्रालय की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना के किसानों से एमएसपी पर 76,000 टन सोयाबीन खरीदा है.
सितंबर में, जब खाद्य तेल पर कम आयात शुल्क के कारण मंडी की कीमतें एमएसपी से नीचे थीं, तब कृषि मंत्रालय ने पीएसएस के तहत मध्य प्रदेश (1.36 मीट्रिक टन), महाराष्ट्र (1.3 मीट्रिक टन), राजस्थान (0.29 मीट्रिक टन), कर्नाटक (0.1 मीट्रिक टन), गुजरात (0.09 मीट्रिक टन) और तेलंगाना (0.05 मीट्रिक टन) के किसानों से 3.22 मिलियन टन (एमटी) सोयाबीन की खरीद को मंजूरी दी थी.
2023 के खरीफ सीजन में, एजेंसियों ने किसानों से एमएसपी पर 70,000 टन सोयाबीन खरीदा था. 14 सितंबर से सरकार ने कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेलों पर आयात शुल्क 5.5 परसेंट से बढ़ाकर 27.5 परसेंट कर दिया था, जबकि रिफाइंड खाद्य तेल पर शुल्क 13.75 परसेंट से बढ़कर 35.75 परसेंट हो गया था. इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना था क्योंकि देश 24-25 मीट्रिक टन की अपनी खाद्य तेल खपत का लगभग 58 परसेंट आयात करता है.
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पिछले रबी सीजन में, 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 13.16 मीट्रिक टन का रिकॉर्ड सरसों उत्पादन होने के बावजूद, मंडी की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही थीं और सरकारी एजेंसियों ने हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों के किसानों से 1.2 मीट्रिक टन सरसों खरीदी थी.
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