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प्याज में सल्फर की मात्रा बढ़ाती है सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद, जान लें इसके इस्तेमाल के फायदे

प्याज में सल्फर की मात्रा बढ़ाती है सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद, जान लें इसके इस्तेमाल के फायदे

देश में बड़ी संख्‍या में किसान प्‍याज की खेती करते हैं और अच्‍छी क्‍वालिटी वाले प्‍याज के लिए तरह-तरह की खाद का इस्‍तेमाल करते हैं. प्‍याज की क्वालिटी में सल्‍फर की एक महत्‍वपूर्ण भूमिका है. ऐसे में इसमें कौन-सी खाद से पूरा किया जा सकता है. यहां जानिए.

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प्‍याज की खेती. (फाइल फोटो) प्‍याज की खेती. (फाइल फोटो)

यूं तो देश में कई सब्जियों की खेती बहुत ज्‍यादा की जाती है, लेकिन प्याज का इसमें महत्‍वपूर्ण स्‍थान है. भारत में हार साल 17 लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा रकबे में प्याज उगाई जाती है. इसकी खास बात यह है कि यह फसलों के दोनों सीजन यानी रबी और खरीफ में उगाई जाती है. देश में महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश प्‍याज के बड़े उत्‍पादक राज्‍यों में से एक है. यहां से अन्‍य देशों में भी प्‍याज एक्‍सपोर्ट किया जाता है, जिससे अच्छी कमाई होती है. ऐसे में प्‍याज की अच्‍छी पैदावार के लिए खाद का सही से उपयोग करना बेहद जरूरी है. पढ़‍िए इससे जुड़ी जानकारी...

मिट्टी के pH मान का रखें ध्‍यान

प्याज किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाए जाने के लिए उपयुक्‍त है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार अच्‍छी मिलती है. हालांकि, खेत में जल निकासी की व्यवस्था अनिवार्य है. वहीं, मिट्टी का पीएच मान 6.5-7.5 के बीच हो, इस बात का ध्‍यान रखना जरूरी है. प्याज की अच्‍छी उपज के लिए लिए खादों का सही उपयोग करना और भी जरूरी है. प्‍याज की फसल में बुवाई के पहले भी और बाद में जरूरत के हिसाब से खाद का प्रयोग करना चाहिए. 

सही मात्रा में खाद का उपयोग जरूरी

रबी प्याज में नाइट्रोजन (अमोनियम सल्फेट या यूरिया), फॉस्फोरस (सिंगल सुपर फॉस्फेट) और पोटाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश) को 50:80:00 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर की दर से इस्‍तेमाल करना चाहिए. जहां तक संभव हो नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए अमोनियम सल्फेट खाद का इस्‍तेमाल करना चाहिए. अमोनियम सल्फेट उपलब्‍ध न रहने की स्थित‍ि में फॉस्फोरस (सिंगल सुपर फॉस्फेट) का ही प्रयोग करना चाहिए. इससे फसल की सल्फर की जरूरत भी पूरी हो जाएगी.

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प्‍याज की गुणवत्‍ता में सल्‍फर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्‍याज में पाई जाने वाली गंध सल्फर कंपाउंड डाईलि‍ल डाईसल्फाइड की वजह से होती है. ऐसे में प्‍याज की फसल को पोषि‍त करने के लिए कार्बनिक और अकार्बनिक खाद के साथ-साथ गंधक का भी प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा प्याज की खेती के लिए अच्छे बीज का चयन करें. प्याज की फसल 140-150 दिन में तैयार हो जाती है. कुछ किस्‍में तो ऐसी हैं, जो 120 दिन में ही तैयार हो जाती हैं.

रबी में होता है ज्‍यादा उत्‍पादन

आमतौर पर एक हेक्टेयर में प्याज से 250 से 300 क्विंटल तक उपज हासिल होती है. रबी सीजन में ज्‍यादा उपज हासि‍ल होती है, जबिक खरीफ में 20 प्रतिशत तक उपज होती है. किसान पूसा रत्नार, अर्का कल्याण, एन-53, पूसा माधवी,  भीमा किरण, भीमा शक्ति, भीमा श्वेता, भीमा रेड, भीमा राज, एग्रीफाउंड डार्क रेड, लाइन-883, भीमा डार्क रेड, फुले स्वर्णा, फुले सामर्थ्य प्‍याज की किस्‍में लगाकर बेहतर पैदावार हासिल कर सकते हैं.