Safflower Cultivation: कुसुम औषधीय गुणों वाला पौधा है. इसके बीज, छिलका, पत्ते पंखुड़ियों और इससे निकलने वाले तेल का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. जानकारों के मुताबिक इसके फूल के तेल का उपयोग हाइ बीपी और दिल से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है. इतना ही नहीं कुसुम के तेल का उपयोग साबुन, पेंट आदि उत्पादों को तैयार करने में भी किया जाता है. इसे कम पानी वाले इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. सीमित सिंचाई स्थितियों में इसकी खेती की जाती है. इसका पौधा 120 से 134 दिनों में आसानी से उत्पादन देना शुरू कर देता है. जिससे किसान बहुत कम समय में इसकी खेती करके बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. हाल ही में ICAR ने किसानों के लिए कुसुम ISF-300 की उन्नत किस्म विकसित की है. आइए जानते हैं इसकी खासियत क्या है.
कुसुम ISF-300 एक उच्च उत्पादन क्षमता वाला किस्म है, जो मुख्य रूप से तेल और बीज की अधिक उपज देने के लिए जाना जाता है. कुसुम ISF-300 की औसत उपज 17.96 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और फूल में तेल की मात्रा लगभग 38.2% होता है, जिससे यह तेल उत्पादन के लिए एक सही विकल्प है. इस किस्म को पककर तैयार होने में 134 दिन का समय लगता है. साथ ही इसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में उगाने की सिफारिश की जाती है.
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इसके अंकुरण के लिए 15 डिग्री तापमान तथा अच्छी पैदावार के लिए 20-25 डिग्री तापमान अच्छा होता है. अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक बुवाई जरूर कर दें अन्यथा अधिक ठंढ पड़ने से अंकुरण पर बुरा असर पड़ता है.
कुसुम फसल की बुवाई के लिये एक हेक्टर में 10 से 15 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसकी बुवाई करते वक्त ध्यान रखें कि कतार से कतार के बीच की दूरी 45 से. मी और पौधों की दूरी 20 से.मी. रखें. इसके खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी रखें.
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जब पौधे की डालियां सूख जाती हैं तब निचली पत्तियों को काटकर हटा दें ताकि पौधों को कांटेदार पत्तियों के बाधा के बिना आसानी से पकड़ा जा सके. सुबह कटाई करने से कांटे मुलायम रहते हैं. इसके अतिरिक्त कांटेदार जाति की कटाई के लिए हाथों में दस्ताने पहनकर कटाई की जा सकती है. कटी फसल को 2 से 3 दिनों तक धूप में सुखाने के बाद डंडे से पीटकर मड़ाई की जाती है.
किसान अगर एक हेक्टेयर में बढ़िया तरीके से कुसुम की खेती करें तो आराम से 17 से 18 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर सकता है. इसका बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियां, तेल, शरबत सभी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं, जिससे किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
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