सरकार का न्यू ईयर गिफ्ट, धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को मिले 19 करोड़, जानें क्या होता है DSR तकनीक

सरकार का न्यू ईयर गिफ्ट, धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को मिले 19 करोड़, जानें क्या होता है DSR तकनीक

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियन ने कहा कि सरकार भूजल बचाने के लिए किसानों को डीएसआर अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सरकार ने 2023-24 के दौरान सीधे धान बोने वाले किसानों के लिए 1,500 रुपये प्रति एकड़ के प्रोत्साहन की घोषणा की थी.

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सरकार का न्यू ईयर गिफ्ट, धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को मिले 19 करोड़, जानें क्या होता है DSR तकनीकपंजाब के किसानों के खाते में पहुंचे 19 करोड़ रुपये. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब सरकार ने शनिवार को धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों के बैंक अकाउंट में 19.83 करोड़ रुपये की राशि जारी की. कहा जा रहा है कि इससे प्रदेश के 17007 किसान लाभांवित हुए हैं. इन किसानों ने सरकार की सलाह पर पिछले साल डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई की थी. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियन ने कहा कि फसल सीजन 2023-24 के दौरान प्रदेश के 19,114 किसानों ने डीएसआर पोर्टल पर 1,72,049 एकड़ जमीन का पंजीकरण कराया था. उनमें से 18,931 किसानों और 1,33,745.67 एकड़ जमीन का डीएसआर योजना के तहत संबंधित अधिकारियों द्वारा सत्यापन किया गया.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियन ने कहा कि सरकार भूजल बचाने के लिए किसानों को डीएसआर अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सरकार ने 2023-24 के दौरान सीधे धान बोने वाले किसानों के लिए 1,500 रुपये प्रति एकड़ के प्रोत्साहन की घोषणा की थी. अब, वह राशि डीबीटी योजना के माध्यम से किसानों के खातों में ट्रांसफर की जा रही है. उन्होंने कहा कि सत्यापन के बाद, 19.83 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित किए गए हैं. उनकी माने तो शेष राशि जल्द ही जारी कर दी जाएगी.

धान की खेती में अधिक पानी की खपत

दरअसल, पंजाब में किसान करीब 30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करते हैं. हर साल 200 लाख टन से अधिक धान की पैदावार होती है. लेकिन अधिकांश किसान ट्यूबवेल से ही धान की सिंचाई करते हैं. ऐसे में पंजाब में भूजल स्तर तेजी के साथ नीचे जा रहा है, जो सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है. जानकारों का मानना है कि अगर पंजाब में धान की खेती के लिए इसी तरह से भूजल का दोहन जारी रहा, तो एक दिन पीने के लिए पानी की किल्लत हो जाएगी. क्योंकि धान की खेती में बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है. एक हेक्टेयर में धान की बुवाई करने पर कीरब 50 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है. यही वजह है कि सरकार प्रदेश में डीएसआर तकनीक से धानकी सीधी बुवाई करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.

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क्या होता है डीएसआर तकनीक

डीएसआर तकनीक की सहायता से धान की बुवाई करने पर पानी के साथ- साथ  श्रम शक्ति की भी बचत होती है. क्योंकि डीएसआर तकनीक के तहत धान की सीधी बुवाई की जाती है. यानी किसान धान की बुवाई करने के लिए नर्सरी तैयार नहीं करते हैं. वे डीएसआर मशीन की मदद से धान के बीजों को सीधे खेत में बो देते हैं. इस विधि से बुवाई करने पर धान की फसल की कम सिंचाई करनी पड़ती है. कहा जाता है कि यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी अच्छा है. इससे पानी का दोहन कम होता है.

450 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया

यही वजह है कि पंजाब सरकार ने पिछले साल भूजल को बचाने के लिए धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को सब्सिडी देने की घोषणा की. तब सरकार ने कहा था कि सीधी बुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सब्सिडी दी जाएगी. सब्सिडी की इस योजना को कैबिनेट ने 18 मई को मंजूरी दी थी. इस के साथ ही पंजाब सरकार ने 450 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया था.

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