भारत के पंजाब राज्य ने दशकों बाद भयानक बाढ़ का सामना किया. यूं तो राज्य के कई जिले बाढ़ से प्रभावित रहे लेकिन गुरदासपुर का हाल काफी खराब है. गुरदासपुर जिले के पाखो के ताहाली साहिब गांव के कई किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. यहां पर किसानों ने कहा है कि ईश्वर का ही चमत्कार है किउनकी जमीन अभी भी फूलगोभी की खेती के लिए उपयुक्त है. यहां के किसान हर साल धान की खेती करने वाले किसानों की तुलना में ज्यादा और बेहतर मुनाफा कमाते हैं. लेकिन बाढ़ ने न सिर्फ जमीनों को तबाह कर दिया है बल्कि किसानों को अब इस बात का भी यकीन नहीं है कि उन्हें कोई मुआवजा भी मिलेगा.
यहां के कई किसानों की जमीन करतारपुर साहिब कॉरिडोर के पास और डेरा बाबा नानक से सटी हुई है. गुरदासपुर के जिला कृषि अधिकारी अमरीक सिंह के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि रावी नदी में हाल ही में आई बाढ़ के कारण सीमावर्ती क्षेत्र में 20,000 हेक्टेयर में फूलगोभी की खेती को भारी नुकसान हुआ है. इंटरनेशनल बॉर्डर के करीब एक ऐसा इलाका है जहां किसान पारंपरिक धान की बजाय फूलगोभी की खेती को प्राथमिकता देते हैं. साथ ही प्रति एकड़ दोगुने से भी ज्यादा निवेश करते हैं. हालांकि, अभी तक अधिकारियों को यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार उन्हें मुआवजा कैसे देगी.
यहां के किसानों को याद है कि इससे पहले साल 1988 में फसल को नुकसान हुआ था. उस समय सरकार की तरफ से किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मिला था. साल 2019 में जब कॉरिडोर का निर्माण हुआ, तो किसानों को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से 2,72,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मिला. किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजा देने के लिए कोई खास नियम नहीं बनाए गए हैं. किसानों ने बताया कि एक फूलगोभी को उगाने में कितना खर्च आता है. उन्होंने कहा फूलगोभी उगाने की लागत करीब 50,000 रुपये प्रति एकड़ है जबकि धान की खेती के लिए यह केवल 10,000-15,000 रुपये प्रति एकड़ है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि कम से कम खेती की लागत की भरपाई हो जाएगी.
किसानों ने बताया कि बाढ़ के बाद जमीन रेत के जमाव से ढक गई है. सामुदायिक मदद से वो अपने खेतों को फिर से उपजाऊ बनाने के लिए पानी की पंपिंग और भूमि पुनर्स्थापन के लिए लाखों रुपये डीजल पर खर्च कर रहे हैं. वहीं डेरा बाबा नानक के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, आदित्य शर्मा ने बताया कि किसानों की मदद के लिए फूलगोभी को एक विशेष फसल के तौर पर क्लासीफाइड करना शुरू कर दिया है. सरकार ने अभी तक मुआवजे के मानदंडों को अंतिम रूप नहीं दिया है, लेकिन प्रभावित रकबे का आकलन किया जा रहा है.
शर्मा ने बताया कि खेती की लागत करीब 50,000 रुपये प्रति एकड़ है और संभावित फायदा करीब 2 लाख रुपये है. कुछ किसान 1 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन पट्टे पर लेते हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि मुआवजा तय करते समय हम इन बातों को ध्यान में रखा जाएगा. फूलगोभी के लिए मुआवज के मानदंडों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि सरकार के पास किसी भी समय नए मुआवजे के उपायों की घोषणा करने का अधिकार है. फिलहाल वर्तमान समय में विशेष फसल नुकसान को सावधानीपूर्वक दर्ज किया जा रहा है.
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