असम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में आलू की सीमित सप्लाई की खबरों के बीच, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की सरकार सतर्क हो गई है. वहीं स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य भर में और पूर्वोत्तर क्षेत्र के बाकी हिस्सों में आलू ज्यादा महंगा न हो. साथ ही उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर आगे भी आलू मिलता रहे. इस संबंध में राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रंजीत कुमार दास ने शुक्रवार को आलू व्यापारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई. इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की गई.
शुक्रवार को गोवाहाटी में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान आलू व्यापारी संघ के प्रतिनिधियों ने मंत्री को आलू के थोक और खुदरा दरों के बारे में जानकारी दी. एसोसिएशन ने बताया कि पश्चिम बंगाल से मंगाए गए आलू का थोक मूल्य 27 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि उत्तर प्रदेश से मंगाए गए आलू का थोक मूल्य 32 रुपये प्रति किलोग्राम है. खुदरा दर वर्तमान में 40 रुपये प्रति किलोग्राम है. बैठक के दौरान हितधारकों ने बताया कि असम में मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में आलू की पर्याप्त आपूर्ति और स्टॉक है.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, असम के मुख्य सचिव रवि कोटा ने 20 जुलाई, 2024 को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) के प्रबंध निदेशक और केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के साथ इस मामले को उठाया था. साथ ही संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र में आलू की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने के लिए भी कहा था. उनके इन प्रयासों के जवाब में, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सचिव ने नेफेड से असम को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार करने में मदद करने के लिए कहा था.
उनके अनुसार, नैफेड ने आलू, प्याज आदि की आपूर्ति में सुधार के लिए राज्य सरकार के परामर्श से एक तंत्र पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा, असम के मुख्य सचिव ने स्थानीय प्रशासन के आवश्यक हस्तक्षेप के लिए पश्चिम बंगाल में अपने समकक्ष के साथ मामला उठाया था, ताकि असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र में पश्चिम बंगाल से आने-जाने वाले आवश्यक वस्तुओं की आसानी से सप्लाई हो सके.
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