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Potato production: आलू की फसल पर पड़ी मौसम की मार, 50 फ़ीसदी तक कम हो गई पैदावार

Potato production: आलू की फसल पर पड़ी मौसम की मार, 50 फ़ीसदी तक कम हो गई पैदावार

मौसम की मार के चलते आलू का उत्पादन प्रभावित हुआ है. आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश के किसी एक जिले में कम नहीं हुआ है बल्कि सभी जिलों का यही हाल है. कहीं आलू का उत्पादन 30 फ़ीसदी तक काम हुआ है तो कहीं 50 फ़ीसदी तक. इसके चलते अब मंडी में आलू की आवक कम हो गई है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी आलू का फुटकर दाम 30 रुपये किलो तक जा पहुंचा है.

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उत्तर प्रदेश आलू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. हर साल मार्च के महीने में आलू की खुदाई के बाद मंडी में आलू की आवक बढ़ जाने से दाम में गिरावट होती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. मौसम की मार के चलते आलू का उत्पादन कम हुआ है. आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश के किसी एक जिले में कम नहीं हुआ है बल्कि आलू उत्पादक सभी जिलों का यही हाल है. कहीं आलू का उत्पादन 30 फ़ीसदी तक कम हुआ है तो कहीं 50 फ़ीसदी तक. मंडी में आलू की इस बार आवक कम है जिससे दाम भी बढ़े हुए हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी आलू का फुटकर दाम 30 रुपये किलो तक जा पहुंचा है. आलू का यह हाल मार्च के महीने में है तो आने वाले महीना में भी ऐसा ही रहेगा. उत्पादन में गिरावट के पीछे कृषि वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन को वजह मान रहे हैं. 

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जलवायु परिवर्तन का आलू पर असर

उत्तर प्रदेश में आलू के उत्पादन पर इस बार मौसम की मार का पूरा असर है. आलू उत्पादक बड़े जिलों में 30 से 50 फ़ीसदी तक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. कन्नौज से लेकर आगरा तक आलू का यही हाल है. किसान के खेत से ही आलू इन दिनों व्यापारियों के द्वारा 15 से लेकर 17 रुपये तक खरीदा जा रहा है. कम उत्पादन के चलते आलू के फुटकर दाम में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है. वही उद्यान विभाग के सहायक निदेशक चंद्रदीप कुमार ने बताया कि दिसंबर में तापमान अधिक रहने से पौधे में काफी विकास हुआ और जनवरी में तापमान में गिरावट के साथ-साथ पाला पड़ने से पौधों में झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ गया है. धूप नहीं निकलने के कारण आलू के कंद में बढ़ोतरी नहीं हुई है जिसके चलते उत्पादन पर असर पड़ा है. 

उत्पादन घटने से बढ़ने लगे आलू के भाव

आलू का उत्पादन कम होने की वजह से मंडी में आवक घटने लगी है. मार्च महीने में आलू की खुदाई के बाद उत्पादन को देखकर किसानों के होश उड़ गए. किसानों का कहना है कि पिछले साल एक बीघे में 100 से 105 क्विंटल तक आलू की पैदावार हुई थी जो इस बार घटकर 60 क्विंटल तक रह गई है. पद्मश्री से सम्मानित किसान राम शरण वर्मा का कहना है कि उन्होंने डेढ़ सौ एकड़ में आलू की बुवाई की थी लेकिन इस बार आलू की पैदावार कम हुई है. उनके खेतों में 30 फ़ीसदी तक आलू की पैदावार में गिरावट हुई है. उनके खेत से ही इस बार व्यापारियों के द्वारा 17 रुपये प्रति किलो के भाव से आलू की खरीदारी हो रही है. जलवायु परिवर्तन के असर के चलते इस बार आलू की पैदावार में गिरावट हुई है. 

कम पैदावार से किसानों को मिला अच्छा भाव

आलू की पैदावार कम होने से इस बार किसानों को आलू का भाव अच्छा मिल रहा है. पिछले साल जहां किसान को 5 रुपये से लेकर 7 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा था. उसमें इस बार 10 रुपये तक का इजाफा हुआ है. किसानों के खेत से ही आलू की खरीद 15 से 17 रुपये की रेट पर हो रही है. मौसम की मार के चलते आलू का उत्पादन भले ही कम हुआ है लेकिन अच्छा रेट मिलने से किसान काफी खुश हैं. आलू उत्पादक किसान दिवाकर पांडे ने बताया कि उनके खेत से इस बार 40 फ़ीसदी तक कम पैदावार हुई है लेकिन पिछले साल से रेट दोगुने तक मिल रहे हैं.