आलू किसानों और ट्रेडर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि आलू की उपलब्धता बढ़ गई है, लेकिन निर्यात नहीं हो पाने के कारण आलू की कीमतों में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है. यह स्थिति बंगाल के आलू किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई. डर है कि किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो सकता है, जबकि आलू स्टॉक करने की जगह कम पड़ने का खतरा भी मंडरा रहा है. निर्यात के अवसरों की कमी और झारखंड से ताजा आलू की उपज की जल्दी आवक के कारण पश्चिम बंगाल में आलू की कीमतें पिछले साल नवंबर के अंत की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत घट गई हैं.
आपूर्ति की अधिकता और बाजारों में कम कीमतों का सामना करते हुए बंगाल के आलू उत्पादक किसान बांग्लादेश को फसल निर्यात कर घाटा कुछ कम करने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि, वर्तमान में पड़ोसी देश में आलू के आयात की कोई मांग नहीं है, क्योंकि वहां भी नई आलू की फसल बाजारों में आनी शुरू हो गई है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के किसान आलू की लागत निकलने को लेकर भी चिंतित हैं.
स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग टास्क फोर्स के सदस्य कमल डे ने बिजनेसलाइन को बताया कि नया आलू बांग्लादेश के बाजारों में आ गया है. अब वहां से कोई मांग नहीं आ रही है. इसलिए वर्तमान में आलू का निर्यात नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा रांची से आलू पश्चिम बंगाल में आ गया है. इस साल यह थोड़ा जल्दी आ गया है. इससे कीमतों में गिरावट आई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता में सियालदह के कोले बाजार में ज्योति आलू किस्म की थोक कीमतें वर्तमान में 14 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास हैं, जो कि एक साल पहले की तुलना में काफी कम है. पिछले साल नवंबर के अंत में ज्योति किस्म की थोक कीमतें लगभग 20 रुपये प्रति किलोग्राम थीं. किसानों के पास अब बहुत कम कीमत पर आलू बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वे बड़े पैमाने पर घाटे का सामना कर रहे हैं. राज्य सरकार का आलू की ज्योति किस्म की बाजार कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं है.
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पंजाब से जल्द ही ताजा आलू की उपज आने पर पश्चिम बंगाल में आलू की कीमतों में और गिरावट आने की आशंका है. बंगाल का अपना पुखराज आलू दिसंबर के तीसरे सप्ताह में बाजार में आने लगेगा. जबकि, यूपी से भी आलू की फसल आना शुरू हो जाएगी. ऐसे में आलू की आवक बढ़ रही है, लेकिन खपत और निर्यात नहीं बढ़ने से किसानों को बड़ा नुकसान होने का खतरा है.
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2022-23 के दौरान देश के दूसरे सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में लगभग 4.60 लाख हेक्टेयर में आलू की खेती की गई और कुल उत्पादन लगभग 100 लाख टन था जो 2021-22 से अधिक रहा. विशेष रूप से इस साल फरवरी में बंपर फसल के कारण आलू की कीमतें गिर गई थीं, जिससे किसानों के सामने लागत निकालने तक का संकट पैदा हो गया था. मार्च में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा न्यूनतम खरीद मूल्य (MPP) 650 रुपये प्रति क्विंटल तय करने के बाद कीमतों में कुछ हद तक सुधार हुआ है.
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